श्रमिकों का भारत बंद, कई शहरों में यातायात सेवाएं प्रभावित
- आज दो दिनों की हड़ताल पर 20 करोड़ श्रमिक
- बैंकिंग समेत कई सेवाएं प्रभावित
- श्रम और श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ मोदी सरकार से नाराज है संगठन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दर्जन भर श्रमिक संगठन अपनी मांगो को लेकर मंगलवार से दो दिन की देशव्यापी हड़ताल पर हैं। हड़ताल के पहले दिन इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी संगठन शामिल हुए। जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने इसमें भाग नहीं लिया। हड़ताल में दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंकिंग, बीमा और परिवहन क्षेत्र के कार्यरत श्रमिक शामिल हुए। इस हड़ताल में दिल्ली-एनसीआर के ओला-उबर और अन्य कैब कंपनियों के चालक भी शामिल हुए। हड़ताल में डीटीसी के अस्थायी कर्मचारियों ने भी शामिल होने की घोषणा की थी।
LIVE UPDATE
- असम में श्रमिकों का प्रदर्शन
- केरल में ट्रेड यूनियन की हड़ताल
- पश्चिम बंगाल में टीएमसी और सीपीएम कार्यकर्ताओं के बीच झड़प
- पश्चिम बंगाल में सीपीएम कार्यकर्ताओं को लिया गया हिरासत में
- ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ताओं ने हावड़ा में ट्रेनें रोकीं
- भुवनेश्वर में ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ताओं ने रास्ता जाम किया
- कर्नाटक में ट्रेड यूनियन के कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
- मुंबई में यातायात (बेस्ट) के 33,000 से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
- बेस्ट के पास लाल रंग की 3,200 से अधिक बसें हैं जो शहर के अलावा ठाणे जिले और नवी मुंबई में सेवाएं देती हैं।
- मुंबई शहर में बस सेवा ठप पड़ गई।
- बस सेवा ठप होने से 80 लाख यात्री प्रभावित
- कर्मचारी संघ के नेताओं के आह्वान पर कर्मचारियों ने 27 डिपो में से एक भी बस नहीं निकाली।
- यह लोकल ट्रेन के बाद मुंबई में परिवहन का सबसे बड़ा साधन है।
Assam: Central Trade Unions have called a two-day nationwide strike demanding minimum wages and social security schemes among others; Visuals from Guwahati pic.twitter.com/vbcQfCKk9m
— ANI (@ANI) January 8, 2019
एटक के महासचिव अमरजीत कौर ने दिल्ली में 10 केन्द्रीय श्रमिक संघों की प्रेस वार्ता में कहा, हम बुधवार को नई दिल्ली में मंडी हाउस से संसद भवन तक विरोध जुलूस निकालेंगे, इसी तरह के अन्य अभियान देशभर में चलाए जाएंगे। कौर ने कहा कि केंद्रीय श्रमिक संघ एकतरफा श्रम सुधारों का भी विरोध करती हैं। कौर ने कहा, श्रमिक संघों ने सरकार को श्रम संहिता पर सुझाव दिए थे, लेकिन चर्चा के दौरान श्रमिक संघों के सुझाव को दरकिनार कर दिया गया, हमने दो सितंबर 2016 को हड़ताल की। हमने नौ से 11 नवंबर 2017 को ‘महापड़ाव’ भी डाला, लेकिन सरकार बात करने के लिए आगे नहीं आई और एकतरफा श्रम सुधार की ओर आगे बढ़ गई।
बता दें कि मोदी सरकार ने श्रमिक संगठनों के 12 सूत्रीय मांगों को भी नहीं माना, श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बने मंत्रिसमूह ने 2 सितंबर की हड़ताल के बाद श्रमिक संगठनों को चर्चा के लिए नहीं बुलाया। इसके चलते हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। श्रमिक संघों ने ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध किया है।
Created On :   8 Jan 2019 10:12 AM IST