यूपी सचिवालय में धोखाधड़ी के लिए 7 हिरासत में लिए गए

7 detained for cheating in UP secretariat
यूपी सचिवालय में धोखाधड़ी के लिए 7 हिरासत में लिए गए
यूपी सचिवालय में धोखाधड़ी के लिए 7 हिरासत में लिए गए

लखनऊ, 15 जून (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने रविवार को फर्जी टेंडर के माध्यम से धोखाधड़ी कर लोगों से पैसे एंठने के आरोप में राज्य मंत्री के निजी सचिव सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है।

एसटीएफ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) विशाल विक्रम सिंह ने कहा कि विधानसभा सचिवालय के कुछ पत्रकारों और कर्मचारियों सहित 14 लोग इंदौर के पशुपालन विभाग के आवेदक मंजीत सिंह भाटिया के साथ टेंडर के माध्यम से धोखाधड़ी कर उनसे भारी रकम ऐंठने के प्रयास किए।

भाटिया को कथित तौर पर 9.72 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया।

सिंह ने कहा कि इस मामले के संबंध में और भी खुलासे किए जाएंगे व कई और लोग गिरफ्तार होंगे।

ये आरोपी सचिवालय का लाभ उठा रहे थे। इनके द्वारा कार्यालय के एक कमरे का भी उपयोग किया जाता था, जिससे लोगों को यह विश्वास करने में आसानी हो कि ये सरकारी ठेके देने में सक्षम हैं।

एएसपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान रजनीश दीक्षित के रूप में हुई है, जो राज्य मंत्री के निजी सचिव हैं, एक संविदा वर्ग चार के कर्मचारी धीरज कुमार देव, आशीष राय और ए.के. राजीव उर्फ अखिलेश कुमार (जो एक पत्रकार होने का दावा करते हैं)।

इसके बाद रविवार की रात को अनिल राय, रूपक राय और उमा शंकर तिवारी को गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने कहा कि आशीष राय सहित इन लोगों के घरों से कुल 28.32 लाख रुपये भी बरामद किए गए।

उन्होंने सात और लोगों के भी नाम बताए, जो पशुपालन विभाग के इन अधिकारियों के साथ मिलकर इस काम से जुड़े हुए थे। इनमें अरुण राय, मोंटी गुर्जर, संतोष मिश्रा, अमित मिश्रा, दिल बहार सिंह यादव और होमगार्ड रघुबीर यादव और ड्राइवर विजय कुमार शामिल हैं।

एएसपी ने मामले के बारे में अधिक जानकारी देते हुए आगे बताया कि एसटीएफ मंजीत सिंह भाटिया की शिकायत पर एसटीएफ पिछले कुछ हफ्तों से मामले की जांच कर रही थी और इस दौरान यह पता चला कि विधान सभा सचिवालय के एक कमरे में आशीष राय ने पशुपालन विभाग के उप निदेशक के रूप में भाटिया से मुलाकात की थी।

एसटीएफ के एक अधिकारी ने कहा कि होमगार्ड और ड्राइवर और अन्य स्टाफ ने शिकायत कर्ता को गुमराह करने में आशीष राय की मदद की और टेंडर दिलाने के वादे के साथ मंजीत से 9.72 करोड़ रुपये लिए।

अधिकारी ने आगे कहा कि जब उसने अपने पैसे वापस मांगे, तो इन्होंने उसे धमकाने की भी कोशिश की। भाटिका को इस मामले में धमकाने के लिए इन्होंने आजमगढ़ के एक क्रिमिनल की मदद ली।

शनिवार रात को आरोपियों के खिलाफ हजरतगंज पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।

उन पर धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात, प्रतिरूपण और आपराधिक साजिश के आरोपों के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Created On :   15 Jun 2020 12:00 PM GMT

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