दुबे के एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसी आशंका जताई गई थी

A few hours before Dubeys encounter, such a fear was expressed in the petition filed in the Supreme Court.
दुबे के एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसी आशंका जताई गई थी
दुबे के एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसी आशंका जताई गई थी
हाईलाइट
  • दुबे के एनकाउंटर से कुछ घंटे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ऐसी आशंका जताई गई थी

नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कुख्यात अपराधी विकास दुबे के पांच सहयोगियों के मारे जाने/कथित मुठभेड़ की गहन जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है।

दुबे के इन पांचों सहयोगियों पर शक था कि वे तीन जुलाई को पुलिस टीम पर हुए जानलेवा हमले में शामिल हो सकते हैं, जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद इन पांचों आरोपियों को पुलिस ने कथित मुठभेड़ में मार गिराया था।

इस याचिका में विकास दुबे को भी कथित मुठभेड़ में ढेर किए जाने की आशंका जताई गई थी और साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। वकील और याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने गुरुवार शाम याचिका दाखिल कर इस मुद्दे पर तुरंत सुनवाई करने और दुबे को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की है।

याचिका दाखिल करने के कुछ घंटों बाद ही शुक्रवार सुबह कानपुर के रास्ते में एसटीएफ अधिकारियों के साथ कथित मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बाद दुबे की मौत हो गई।

पुलिस द्वारा बताया जा रहा है कि दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस ने शुक्रवार सुबह कानपुर के पास एक मुठभेड़ में मार गिराया। जब यह मुठभेड़ हुई तब उत्तर प्रदेश पुलिस कुख्यात अपराधी दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर आ रही थी, जहां उसे गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस ने बताया कि जब उसे कानपुर लेकर जाया जा रहा था तो उनका वाहन सड़क पर पलट गया, जिसके बाद दुबे ने कथित तौर पर भागने की कोशिश की और इसी दौरान उसे गोली मारी गई, जिससे उसकी मौत हो गई।

दुबे के कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे जाने के बाद समाचार चैनलों से लेकर चहुंओर यह बहस तेज हो गई है कि दुबे ने खुद को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस से मुठभेड़ से बचने के लिए ही गिरफ्तार कराया था तो वह खुद क्यों भागेगा।

याचिका में कहा गया है कि इस बात की पूरी संभावना है कि आरोपी विकास दुबे को हिरासत में लिए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अन्य सह-अभियुक्तों की तरह ही मार गिराया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि मुठभेड़ के नाम पर पुलिस द्वारा भी आरोपियों की हत्या की गई है और यह कानून के खिलाफ होने के साथ ही मानवाधिकार का भी गंभीर उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस/प्रशासन द्वारा दुबे के आवासीय भवन और शॉपिंग मॉल को भी गिराने का काम किया गया है और साथ ही उनकी महंगी कारों और अन्य विभिन्न चल/अचल संपत्तियों को भी बुलडोजर, जेसीबी से धवस्त किया गया है, जोकि कानून का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है, अपराध सिद्ध होने के बाद अभियुक्त/अपराधी को दंड देना सक्षम न्यायालय का कार्य है। इस प्रकार पुलिस को कानून हाथ में लेकर अपराध सिद्ध होने से पहले मुठभेड़ के नाम पर उसे मारकर अभियुक्त को दंडित करने का अधिकार नहीं है।

याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह भी मांग की है कि दुबे का घर, शॉपिंग मॉल व गाडियां तोड़ने पर संबंधित लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में दुबे के पांच सहयोगियों को कथित तौर पर मुठभेड़ में मारे जाने के मामले को सीबीआई को सौंपने की भी मांग की गई है।

Created On :   10 July 2020 3:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story