जस्टिस चंद्रचूड़ क्यों बोले- मैं राष्ट्रवादी जज कहलाना पसंद करूंगा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को आधार की वैलिडिटी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ नाराज हो गए। आधार के खिलाफ फाइल की गई पिटीशंस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि "आपसे जब भी सवाल पूछा जाता है, तो आरोप लगाया जाता है कि हम एक विचारधारा से बंधे हुए हैं, लेकिन हम संविधान के तहत काम करते हैं।" उन्होंने कहा कि अगर आपसे सवाल करना राष्ट्रवादी कहलाना है, तो मैं राष्ट्रवादी जज कहलाना पसंद करूंगा। बता दें कि चीफ जस्टिल दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच आधार पर सुनवाई कर रही है।
मैं राष्ट्रवादी कहलाना पसंद करूंगा : जस्टिस चंद्रचूड़
आधार की वैलिडिटी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान की दलीलों पर सवाल करते हुए पूछा- "पिटिशनर्स के मुताबिक घालमेल क्या है और उनकी अपील का इससे क्या संबंध है? इस तरह की बातें उठाने का क्या मतलब है?" उन्होंने आगे कहा कि "जब हम भी आपसे कुछ सवाल पूछते हैं तो हम पर हमले होते हैं। हम यहां न तो केंद्र सरकार का बचाव कर रहे हैं और न ही NGOs की लाइन को फॉलो कर रहे हैं। सवाल पूछने पर हम पर आरोप लगाया जाता है कि आप एक विचारधारा से बंधे हुए हैं। हम संविधान के मुताबिक काम करते हैं।" जस्टिस चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि "अगर आधार को चुनौती देने वालों से सवाल करना राष्ट्रवादी कहलाना है, तो मैं राष्ट्रवादी हूं और यही कहलाना पसंद करूंगा।"
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का दिया हवाला
पिटीशनर्स की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने केंद्र सरकार के वर्ल्ड बैंक को दिए एक एफिडेविट का जिक्र करते हुए कहा कि "इसमें कहा गया है कि भारत कई स्कीम्स में आधार जरूरी करने के बाद हर साल करीब 11 बिलियन डॉलर की बचत कर सकेगा।" दीवान ने कहा कि "केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट का इस्तेमाल ये कहते हुए किया है कि वर्ल्ड बैंक इंडिपेंडेंट बॉडी है और वो किसी घालमेल में शामिल नहीं हो सकता है, लेकिन वर्ल्ड बैंक कि रिपोर्ट को ऑथेंटिक नहीं माना जा सकता क्योंकि इस चीफ पॉल रोमर ने ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वर्ल्ड बैंक के डाटा में इंटिग्रिटी (अखंडता) नहीं होती।"
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एडवोकेट दीवान ने मांगी माफी
जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने एडवोकेट श्याम दीवान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि "मैं शुरू से ये सुनता आ रहा हूं कि अगर मैं आपके साथ नहीं हूं तो मैं एक आधार जज हूं, लेकिन मैं इसकी चिंता नहीं करता क्योंकि मैं संविधान के तहत काम करता हूं।" जस्टिस चंद्रचूड़ की नाराजगी को बढ़ते देख एडवोकेट श्याम दीवान ने उनसे माफी मांग ली। इसके बाद बेंच में शामिल जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि "हमने केंद्र सरकार से भी ढेरों सवाल किए हैं और आगे भी करेंगे।"
क्यों हो रही है आधार पर सुनवाई?
दरअसल, पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ सुनवाई की गई थी, जिसपर फैसला देते हुए कोर्ट ने इसे संविधान के तहत निजता का अधिकार माना था। कोर्ट ने कहा था कि ये व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। उस वक्त पिटीशनर्स का कहना था कि आधार को हर चीज से लिंक कराना निजता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का उल्लंघन है। पिटीशन में कहा गया था कि इससे संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच ने इसे निजता का अधिकार माना था।
पिटीशनर्स का क्या है कहना?
आधार को लिंक कराने के खिलाफ पिटीशन फाइल करने वाले पिटीशनर्स का कहना है कि सरकार ने शुरू में सिर्फ 6 स्कीम्स के लिए आधार को जरूरी किया था, लेकिन बाद में इसे 139 से भी ज्यादा स्कीम्स के लिए जरूरी कर दिया गया। बता दें कि आधार को बैंक अकाउंट समेत कई योजनाओं से लिंक कराने की अनिवार्यता के खिलाफ कई पिटीशन फाइल की गई है। इन पिटीशन में कहा गया है कि आधार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए।
Created On :   2 Feb 2018 9:46 AM IST