स्वरोजगार से आरती के परिवार की आर्थिक स्थिति हुई मजबूत "सफलता की कहानी" -
अत्यंत गरीब परिवार की नरसिंहपुर विकासखंड के ग्राम जैतपुर- पाला की आरती कोरी के परिवार के भरण- पोषण का एक मात्र सहारा मजदूरी थी। उनके पति भी बेरोजगार थे। ऐसे में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और स्वसहायता समूह से जुड़ना आरती के जीवन में आशा की किरण बनकर सामने आया है। अब आरती को हर महिने 11 से 12 हजार रूपये तक की आमदनी होने लगी है। उन्होंने घर पर ही मनिहारी की स्थायी दुकान खोल ली है, इसके पहले उनके पति ने गांव- गांव में जाकर मनिहारी का सामान बेचने का कार्य शुरू किया था, परंतु इससे उन्हें पर्याप्त आय नहीं होती थी। डीपीआईपी के समूह से जुड़ने के बाद आरती ने 8500 रूपये का छोटा ऋण लिया। फिर आजीविका मिशन की सामुदायिक निवेश निधि से 20 हजार रूपये लिये। इससे आरती ने सिलाई मशीन खरीदकर सिलाई का काम शुरू किया, जिससे आरती को हर महिने 3 से 4 हजार रूपये की आय होने लगी। फिर उनके समूह ने बैंक से तीन बार लोन और लिया। तत्पश्चात समूह से 40 हजार रूपये का लोन लेकर मनिहारी की दुकान घर पर ही शुरू की। इसके लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से एक लाख रूपये का ऋण लेकर मनिहारी की दुकान को बढ़ाया। इसके बाद उन्हें हर महिने 8 से 9 हजार रूपये की आय होने लगी। आरती कोरी आजीविका मिशन के अंतर्गत सीआरपी का कार्य भी करने लगी, इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी हुई। अब इन सब कामों से आरती कोरी को हर महिने 11 से 12 हजार रूपये की आमदनी होने लगी है। उनके परिवार का भरण- पोषण भी अच्छे से हो रहा है। आरती कहती हैं कि स्वसहायता समूह से जुड़ने पर मुझे गरीबी के अभिशाप से मुक्ति मिली है और स्वरोजगार के कारण मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। इसके लिए मैं राज्य सरकार और आजीविका मिशन के सहयोगियों, स्वसहायता समूहों के सदस्यों की आभारी हूं।
Created On :   7 July 2020 5:11 PM IST