जो लोग बालिगों को शादी करने से रोकें, उन पर कार्रवाई हो : एमिकस क्यूरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शादी करने वाले कपल पर खाप पंचायतों के रुख पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन ने एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें शादी करने वाले कपल की सुरक्षा कैसे की जाए, इस पर सुझाव दिए गए हैं। एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोई भी व्यक्ति दो बालिगों को शादी करने से रोकता है, तो उसके खिलाफ पुलिस तुरंत कानूनी कार्रवाई करे और कपल को सुरक्षा दे। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में और भी कई सुझाव दिए गए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अभी खाप पंचायतों के रुख को लेकर सुनवाई चल रही है और पिछली सुनवाई में कोर्ट ने शादी करने वाले कपल की सुरक्षा को लेकर कुछ सुझाव मांगे थे। इस मामले में अगली सुनवाई अब 22 फरवरी को होगी।
एमिकस क्यूरी ने क्या दिए सुझाव?
1. राजू रामचंद्रन ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि अगर किसी भी शादी का कहीं पर भी विरोध करने के लोग इकट्ठे हों या फिर शादी में रुकावट पैदा करें या शादी करने वाले कपल को रोकें, तो उनके खिलाफ पुलिस तुरंत कार्रवाई करते हुए FIR दर्ज करे और कपल को सुरक्षा दे।
2. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है जिल के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की ये ड्यूटी है कि वो समाज के खिलाफ शादी करने वाले कपल को सुरक्षा मुहैया कराए। इसमें सुझाव दिया गया है कि जिले का डीएम सीनियर पुलिस अधिकारियों की एक कमेटी बनाए, जो कपल की सुरक्षा का ध्यान रखे।
3. एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कपल के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है, तो इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की ये जिम्मेदारी होगी कि वो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करे, जो कपल को परेशान कर रहे हैं।
4. इसमें ये भी कहा गया है कि अगर कोई पुलिस अधिकारी सही तरीके से काम नहीं करता है, तो उसके खिलाफ सर्विस रूल के तहत कार्रवाई की जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों को आदेश दे कि अगर कोई पुलिस अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसे सख्त सजा दी जाए।
शादी में दखल देने का किसी को अधिकार नहीं : SC
5 फरवरी को खाप पंचायतों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने खाप की तरफ से पेश एडवोकेट को फटकार लगाते हुए कहा था कि "अगर कोई दो बालिग शादी भी कर लेते हैं, तो उसे अमान्य घोषित करने का हक सिर्फ कोर्ट को है। आप इससे दूर ही रहें।" कोर्ट ने ये भी कहा कि "हमें खाप पंचायतों की चिंता नहीं है। हमें सिर्फ शादी करने वाले जोड़ों की चिंता है।" वहीं 17 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि "कोई भी पंचायत, माता-पिता, समाज या कोई भी शख्स किसी को शादी करने से नहीं रोक सकता। किसी भी खाप पंचायत को किसी बालिग लड़के और बालिग लड़की को मर्जी से शादी करने पर उनको सजा देने का कोई हक नहीं है।"
हमारी परंपराओं में दखल बर्दाश्त नहीं : खाप पंचायत
वहीं बलियान खाप के चीफ नरेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट को धमकी देते हुए कहा था कि "हम सुप्रीम कोर्ट का बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन ये कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोर्ट हमारी पुरानी परंपराओं और संस्कृति में दखल दे। अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा करता है, तो हम लड़कियों को पैदा नहीं होने देंगे और न ही करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि "हम लड़कियों को उतना पढ़ाएंगे ही नहीं, कि वो अपने फैसले खुद लेना शुरू कर दे।" नरेश टिकैत ने ये भी कहा कि "अगर समाज में लड़कियां कम होती हैं, तो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होगा।"
NGO की पिटीशन पर हो रही है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में शक्तिवाहिनी संगठन ने ऑनर किलिंग जैसे मामलों पर रोक लगाने के लिए एक पिटीशन फाइल की है। शक्तिवाहिनी एक NGO है और इसने अपनी पिटीशन में इस तरह के क्राइम पर रोक लगाने की मांग की है। इस पिटीशन में कहा गया है कि उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा में कानून की तरह काम कर रही खाप पंचायतें परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने वालों को सजा देती हैं।
क्या होती है खाप पंचायत?
खाप पंचायतों को कोई कानूनी दर्जा नहीं है, लेकिन उसके बावजूद ये पंचायतें कानून से ऊपर उठकर फैसला लेती हैं। खाप पंचायतों में गांवों के प्रभावशाली लोगों या गोत्र का दबदबा रहता है, साथ ही औरतें इसमें शामिल नहीं होती हैं और न उनका प्रतिनिधि होता है। ये केवल पुरुषों की पंचायत होती है और वही फैसले लेते हैं। खाप पंचायतों में अक्सर शादी के मामलों को लेकर ज्यादा फैसले लिए जाते हैं और ये खाप पंचायत इन्हीं फैसलों को लेकर चर्चा में रहती हैं। शादी के मामलों में यदि खाप पंचायत को कोई आपत्ति हो तो वो लड़का और लड़की को अलग करने, शादी को रद्द करने, किसी परिवार का समाजिक बहिष्कार करने या गांव से निकाल देने और कुछ मामलों में तो लड़के या लड़की की हत्या तक का फैसला करती है।
क्या होता है एमिकस क्यूरी?
एमिकस क्यूरी को कोई भी कोर्ट अपॉइंट करती है। दरअसल, जो आरोपी फीस न दे सकने के कारण एडवोकेट नहीं कर पाते हैं, उन्हें कोर्ट सरकारी खर्चे पर एडवोकेट मुहैया कराती है। इन्हीं एडवोकेट्स को एमिकस क्यूरी कहा जाता है। एमिकस क्यूरी को केस की किसी भी स्टेज पर अपॉइंट किया जा सकता है। जो एडवोकेट कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं, कोर्ट उनमें से ही किसी को किसी एक केस में एमिकस क्यूरी बना सकता है। इसके लिए उन्हें राज्य सरकार से केस लड़ने की फीस मिलती है। ये एमिकस क्यूरी कोर्ट को संबंधित केस में कानूनी पहलुओं की जानकारी देते हैं। बता दें कि कोर्ट के पास ये अधिकार होता है कि वो किसी भी केस में एमिकस क्यूरी को अपॉइंट कर सकता है।
Created On :   17 Feb 2018 9:01 AM IST