एजी की राय पर की गई थी एड हॉक पदोन्नति : सुप्रीम कोर्ट के गृह सचिव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की तदर्थ पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर की, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की स्थिति के आधार पर नहीं।
एक अवमानना नोटिस के जवाब में भल्ला ने कहा : यह इस अदालत के किसी भी आदेश का उल्लंघन किए बिना और भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) की लिखित राय के आधार पर सरकारी सेवा की अनिवार्यताओं को पूरा करने के लिए किया गया था।
भल्ला 1 अक्टूबर, 2020 से 24 जनवरी, 2021 के दौरान कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। उन्होंने कहा कि एजी की राय पर सीएसएस के वरिष्ठ चयन (निदेशक) ग्रेड में तदर्थ पदोन्नति 11 दिसंबर, 2020 और 8 जनवरी, 2021 को वरिष्ठता सूची में स्थिति के अनुसार उम्मीदवारों का चयन किया गया था।
उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, इन तदर्थ पदोन्नति में पदों का कोई आरक्षण नहीं किया गया था और पदोन्नत लोगों के पक्ष में कोई अधिकार नहीं बनाया गया था। दुर्भाग्य से, याचिकाकर्ता (देबानंद साहू) ने इस तथ्य का खुलासा नहीं किया है कि ये पदोन्नति विशुद्ध रूप से निचले पद पर मौजूदा वरिष्ठता के आधार पर और तदर्थ आधार पर इस शर्त के साथ की गई थी कि वे नियमित होने तक किसी भी समय वापस किए जाने के लिए उत्तरदायी होंगे।
प्रतिक्रिया में आगे कहा गया है कि ये तदर्थ पदोन्नति भी इस शर्त के अधीन थी कि पदोन्नत लोगों के पास कोई अधिकार नहीं होगा और शीर्ष अदालत द्वारा पारित किसी भी आदेश के तहत होगा। साहू ने शीर्ष अदालत के 15 अप्रैल, 2019 के आदेश के उल्लंघन के लिए भल्ला और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी।
इस साल 28 जनवरी को दिए गए जरनैल सिंह और अन्य बनाम लच्छमी नारायण गुप्ता और अन्य मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए भल्ला ने कहा कि इस फैसले और एजी की राय के अनुसार, नियमित पदोन्नति की गई शर्तो को पूरा करते हुए ऐसा किया गया है। जैसा कि एम नागराज और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2006) के मामले के साथ-साथ जरनैल सिंह मामले में निर्णय लिया गया था। जरनैल सिंह (2022) के फैसले में शीर्ष अदालत ने नियमित पदोन्नति के लिए शर्ते तय कीं।
भल्ला ने कहा : याचिकाकर्ता भी उन व्यक्तियों में से एक है जिसे नियमित पदोन्नति दी गई थी। इस पृष्ठभूमि में यह प्रस्तुत किया जाता है कि कोई अवमानना नहीं होती और याचिकाकर्ता ने इस तथ्य का खुलासा नहीं करते हुए यह याचिका दायर की है कि सरकार के विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं, जिससे सरकार के कामकाज पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने नौ अप्रैल को वकील कुमार परिमल के माध्यम से दायर साहू की अवमानना याचिका पर भल्ला से जवाब मांगा था। शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2019 में अधिकारियों की पदोन्नति के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश जारी किया था। जुलाई 2022 में डीओपीटी ने तदर्थ पदोन्नति देने की अनुमति के लिए एक आवेदन किया, जिसे शीर्ष अदालत ने अस्वीकार कर दिया।
आईएएनएस
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Created On :   1 Sept 2022 1:00 AM IST