आखिर क्यों वायसराय को लगता था सुभाष चन्द्र बोस जिंदा हैं...
- क्या सच में नेता जी की मौत हवाई दुर्घटना में हुई थी।
- यसराय लार्ड आर्चीबाल्ड वाबेल ने डायरी में लिखा था मुझे नेता जी की मौत पर संदेह है।
- वायसराय लार्ड आर्चीबाल्ड को लगता था नेता जी जिंदा है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कहां गए, उनका निधन कैसा हुआ ये सवाल आज भी हर भारतीय के जेहन में बना हुआ है। नेता जी की मौत आज एक रहस्य बनकर रह गई है। लेकिन इस बात की पुष्टि आज तक नहीं हो सकी कि नेता जी निधन कैसा हुआ। तायवान के फारमोसा में 18 अगस्त 1945 को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की हवाई दुर्घटना में निधन की खबर जरूर आई थी, लेकिन उस पर लोगों को विश्वास नहीं था। कोई भी ये मानने को तैयार नहीं था कि नेता जी की मौत हवाई दुर्घटना में हुई है। उस समय भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड आर्चीबाल्ड वाबेल ने डायरी में लिखा, ""मेरे लिए हैरानी की बात होगी अगर नेताजी को लेकर जापान सरकार की खबर सही निकली तो। मुझे उनकी मौत पर बिल्कुल विश्वास नहीं है। मुझे इस पर संदेह है""
अंग्रेजी हुक्मत ने बोस की स्थिति के बारे में जाने की जरा भी कोशिश नहीं की। अंग्रेजों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा,"हमने बहुत सी बातों पर गौर किया और बेहतर यही लगा कि वह जहां कहीं भी हों, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाए. वह जहां कहीं हों, वहां से उन्हें लाने के बारे में नहीं सोचा जाए." दरअसल ब्रिटेन ने बोस की विमान दुर्घटना की खबर के एक साल के भीतर इसकी जांच शुरू की। राजनीतिक खुफिया अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल जान फिग्स से पूरे मामले की जांच करने को कहा गया। फिग्स ने ढेर सारे लोगों से बात की, इसमें गवाह भी थे और उस अस्पताल के लोग भी, जहां ये माना जाता है कि नेताजी ने अपनी आखिरी सांसें ली थीं। फिग्स इस नतीजे पर पहुंचे कि एससी बोस नाम का एक शख्स 18 अगस्त 1945 को ताइपेई के उस अस्पताल में मरा था, जगह जगह जलने और सदमे के कारण उसकी मौत हृदयाघात से हुई थी। 19जुलाई 1946 को अपनी रिपोर्ट में फिग्स ने कहा कि संभव है कि गवाहों की बातें मनगढंत हों। फिग्स के ये लिखने का मतलब ये भी निकाला गया हो सकता है कि सुभाष को वहां से कवर करके निकाला गया हो. लेकिन मोटे तौर पर फिग्स की रिपोर्ट का निष्कर्ष था कि नेताजी का निधन हवाई हादसे में हो गया।
वायसराय को लगता था कि नेताजी के लिए अंडरग्राउंड होने का रास्ता तैयार किया गया है। जबकि अंग्रेजी हुकूमत को लगता था कि बोस जिंदा है। वायसराय को डर था कि अगर एक बार बोस अंग्रेजी हुकूमत के हाथ लग गए तो पता नहीं हुकूमत उनके साथ क्या करेगी। इसके लिए वायसराय ने ब्रिटेन में गृह मंत्री सर आरएफ मडी से बोस को लेकर गंभीर जांच की। वायसराय को लगता था कि अगर बोस पकड़े जाते तो जनता के दबाव के चलते भारत में उन्हें फांसी देना मुश्किल होता। ब्रिटेन के गृहमंत्री मडी ने युद्ध अपराधी की तमाम परिभाषाएं खंगालने की कोशिश की, लेकिन उनके खांचे में बोस फिट ही नहीं हो रहे थे। उनके सहयोगियों का कहना था कि अगर हम इस आधार पर इंडियन नेशनल लीग के लोगों पर मुकदमा चलाते हैं तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वायसराय को लगता था कि अंग्रेजी हुकूमत को पता है बोस कहां, लेकिन वो उनकी स्थिति के बारे में पता नहीं करना चाहती है। वायसराय को लगता था बोस जिंदा है।
Created On :   18 Aug 2018 2:30 PM IST