दो दशक बाद नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह बूढ़ापहाड़ को फतह करने के करीब पहुंची पुलिस

After two decades, the police came close to conquering Budhapahar, the safest haven of Naxalites.
दो दशक बाद नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह बूढ़ापहाड़ को फतह करने के करीब पहुंची पुलिस
झारखंड दो दशक बाद नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह बूढ़ापहाड़ को फतह करने के करीब पहुंची पुलिस
हाईलाइट
  • कई इलाकों में नक्सल समस्या

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ापहाड़ को माओवादी नक्सलियों से मुक्त कराने के लिए चलाये जा रहे ऑपरेशन ऑक्टोपस में सुरक्षा बलों की कामयाबी का सिलसिला जारी है। पिछले दो दशकों में पहली बार सुरक्षा बल पहाड़ की चोटी पर जा पहुंचे हैं। गढ़वा जिले के एसपी अंजनी कुमार झा खुद इनके साथ हैं। झारखंड पुलिस का दावा है कि अगले कुछ दिनों में ही पहाड़ के चप्पे-चप्पे को नक्सलियों से मुक्त करा लिया जायेगा।

लगभग 55 वर्ग किलोमीटर में फैले इस दुर्गम पहाड़ पर नक्सलियों के टॉप लीडर्स पनाह लेते रहे हैं। इस बार पुलिस और सुरक्षा बलों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों छोर से पहाड़ की घेराबंदी की है। सुरक्षा बलों का अभियान रोकने के लिए नक्सलियों ने लगातार सिरियल ब्लास्ट किये, लेकिन इस बार सधी हुई रणनीति के तहत हो रही कार्रवाई से नक्सलियों के पांव उखड़ गये हैं। माना जा रहा है कि बूढ़ापहाड़ को फतह कर लेने से झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर सहित कई इलाकों में नक्सल समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया जायेगा।

बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर पहुंचे पुलिस अधीक्षक अंजनी झा और सुरक्षा बलों की तस्वीरें झारखंड पुलिस के ट्विटर हैंडल पर शेयर की गयी हैं। अंजनी कुमार झा ने बताया कि पहाड़ पर सर्च अभियान जारी है। ज्यादातर नक्सली इलाके से भाग खड़े हुए हैं। दो दिन पहले ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली थी। इस दौरान अलग-अलग तरह की कुल 106 लैंडमाइंस के अलावा एसएलआर की 350 गोलियां, 25 तीर बम, 500 मीटर कोडेक्स वायर सहित भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गयी। अभियान में झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस, सीआरपीएफ, जगुआर एसॉल्ट ग्रुप, आईआरबी और कोबरा बटालियन के जवान शामिल हैं। इस बार नक्सलियों से मुक्त कराये पहाड़ के आस-पास सुरक्षा बलों का स्थायी कैंप बनाये जाने की तैयारी है, ताकि दुबारा यहां नक्सलियों के पांव न जम सकें।

झारखंड की राजधानी रांची से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लातेहार के गारू प्रखंड के सुदूर गांवों से शुरू होने वाला यह पहाड़ इसी जि़ले के महुआडांड़, बरवाडीह होते हुए दूसरे जि़ले गढ़वा के रमकंडा, भंडरिया और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ तक फैला है। 2018 में भी यहां सुरक्षा बलों ने बड़ा अभियान चलाया था। इस दौरान नक्सलियों के कई बंकर ध्वस्त किये गये थे। बड़े पैमाने पर नक्सली पकड़े भी गये थे। हालांकि इस अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को भी नुकसान हुआ था और छह जवान शहीद हुए थे। सुरक्षा बलों की नाकेबंदी के चलते वर्ष 2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी अरविंद को बीमारी के दौरान बाहर से कोई सहायता नहीं मिल पाई थी और उसकी मौत हो गई थी। अरविंद की मौत के बाद सुधाकरण और उसकी पत्नी को बूढ़ा पहाड़ का प्रभारी बनाया गया था। सुधाकरण ने दो वर्ष पूर्व तेलंगाना में पूरी टीम के साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। सुधाकरण के आत्मसमर्पण के बाद बाद में एक दर्जन अन्य कमांडरों ने धीरे-धीरे आत्मसमर्पण कर दिया था।

 

आईएएनएस

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Created On :   8 Sept 2022 9:00 PM IST

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