अयोध्या विवाद : नजवी का सुलह का फार्मूला मुस्लिम लॉ बोर्ड ने ठुकराया

AIMPLB rejects Maulana Nadvi’s Ram Mandir compromise formula
अयोध्या विवाद : नजवी का सुलह का फार्मूला मुस्लिम लॉ बोर्ड ने ठुकराया
अयोध्या विवाद : नजवी का सुलह का फार्मूला मुस्लिम लॉ बोर्ड ने ठुकराया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच शुक्रवार को एक बार फिर इस मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाने की कोशिश की गई। उत्तर प्रदेश के कुछ मुस्लिम नेताओं और आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्रीश्री रविशंकर के बीच शुक्रवार को बेंगलुरु में मुलाकात हुई, लेकिन रात होते-होते स्पष्ट हो गया कि बाकी पक्षकार इससे राजी नहीं हैं। मुस्लिम पक्षकार सलमान नदवी ने इस मुलाकात पर कहा था, "कोर्ट अपना फैसला लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर नहीं करता। हम चाहते हैं कि सभी पक्षों का दिल रखा जाए और सब फैसले से खुश हों।" नदवी ने विवादित स्थल पर मंदिर और किसी और जगह मस्जिद बनाने को लेकर तीन सुझाव दिए थे, जिन्हें रात तक बाकी पक्षकारों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने खारिज कर दिया।


इस मसले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हुई। देर रात खत्म हुई बैठक के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की तरफ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से कहा गया कि मुसलमानों ने बातचीत के जरिए मसले के हल की पूरी कोशिश की गई लेकिन यह संभव नहीं हो सका। उनका एक ही जवाब रहा कि मुसलमान मस्जिद पर दावेदारी छोड़ दें लेकिन शरियत के हिसाब से हमें यह मंजूर नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 1993 के फैसले पर कायम रहेगा। शरियत के मुताबिक मस्जिद की जमीन किसी को न बेची जा सकती है न किसी को गिफ्ट की जा सकती है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए अदालत का जो फैसला आएगा उसे हम मंजूर होगा। यह आस्था का मामला नहीं बल्कि संपत्ति का मामला है। यह किसी की न तो जीत होगी और न किसी की हार होगी, बल्कि यह इंसाफ की फतह होगी।

 
मार्च में अयोध्या जाएंगे श्रीश्री रविशंक
श्रीश्री रविशंकर के प्रवक्ता गौतम ने मीडिया को बताया "बेंगलुरु में इस मसले को लेकर मीटिंग हुई है और श्रीश्री का मकसद सिर्फ इतना है कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटा लिया जाए।" उन्होंने बताया कि "इस मुद्दे को लेकर अब अगली बैठक अयोध्या में मार्च में की जानी है, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस मीटिंग में श्रीश्री रविशंकर भी शामिल होने अयोध्या जाएंगे।" गौतम ने ये भी बताया कि पिछले साल नवंबर में श्रीश्री रविशंकर ने अयोध्या विवाद को आपसी समझौते से निपटाने की बात कही थी।

इन 3 प्रपोजल्स पर हुई बात
इस विवाद को सुलझाने के लिए "अयोध्या सद्भावना समन्वय समिति" के पंडित अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि समिति की तरफ से मौलाना सलमान हुसैनी नदवी को 3 पॉइंट्स का एक प्रपोजल दिया गया है।

1. पहले प्रपोजल में कहा गया है कि 10 एकड़ की विवादित जमीन जो निर्मोही अखाड़े के कब्जे में है, वो मुसलमानों को दे दी जाए और उसके बदले में हिंदुओं को विवादित जमीन दे दी जाए।

2. दूसरे प्रपोजल में कहा गया है कि गोरखपुर हाईवे पर बहादुर शाह जफर के नाम से एक इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बनाई जाए और उसी के कैंपस में मस्जिद को जगह दी जाए।

3. आखिरी प्रपोजल में कहा गया है कि विवादित जमीन के पास जहां लकड़ी काटने की यूनिट लगी है, वहां पर मस्जिद बनाई जाए।

अयोध्या को लेकर क्या है विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।

14 मार्च को होगी अगली सुनवाई
अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 8 फरवरी को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले सभी मुख्य पक्षकारों की दलील सुनी जाएगी, उसके बाद दूसरी पिटीशंस पर सुनवाई होगी। इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले को सिर्फ एक जमीन विवाद की तरह ही देखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 2 हफ्ते के अंदर सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करने को कहा है और इसी के साथ अब इस मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को की जाएगी।

Created On :   9 Feb 2018 7:11 PM GMT

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