देश के हर नागरिक का RSS से जुड़ना अनिवार्य कर देना चाहिए : अनिल विज
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रचारकों के 7 जून के दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के शामिल होने का मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में हैं। कांग्रेस पार्टी जहां प्रणब मुखर्जी के इस फैसले से चिंतित है, वहीं बीजेपी और संघ नेता लगातार पूर्व राष्ट्रपति के इस कदम को सामान्य और सराहनीय बता रहे हैं। इन सब के बीच अपने बयानों के लिए विवादों में रहने वाले हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने देश के हर नागरिक को आरएसएस में शामिल करने की मांग कर डाली है। उन्होंने कहा है कि देश के हर नागरिक के लिए यह अनिवार्य कर देना चाहिए कि वह कुछ समय आरएसएस को ज्वाइन करे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब के इस कार्यक्रम में शामिल होने पर जब अनिल विज से सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया, "पूर्व राष्ट्रपति द्वारा आरएसएस के कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार करना निश्चित रूप से सराहनीय है। आरएसएस एक राष्ट्रीय संस्थान है जो लोगों के व्यक्तित्व का विकास करता है। देश के हर नागरिक के लिए इसमें शामिल होना अनिवार्य कर देना चाहिए।"
Former Pres Pranab Mukherjee"s decision to accept invitation to RSS event is really appreciable. RSS is a nationalist organisation that develops a person"s character. It should be made mandatory for every citizen of the country to join RSS for sometimes: Haryana Minister Anil Vij pic.twitter.com/60Tm8EflOc
— ANI (@ANI) May 30, 2018
गौरतलब है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में आरएसएस के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करेंगे। संघ ने नागपुर में 7 जून को होने वाले अंतिम वर्ष के स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रित किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से 45 साल से कम उम्र के करीब 800 कार्यकर्ता शामिल होंगे।
बता दें कि आरएसएस अपने स्वयंसेवकों को पूर्णकालिक प्रचारक बनाने के लिए तीन साल का एक वर्ग रखता है। इसे संघ शिक्षा वर्ग कहा जाता है। इस वर्ग में 3 साल बिताने के बाद स्वयंसेवक, संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन जाते हैं। इस ट्रेनिंग को पहले ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स (ओटीसी) भी कहा जाता था। संघ के इस इवेंट में प्रणब मुखर्जी के शामिल होने की खबरों के बाद कांग्रेसी खेमे में खलबली मची हुई है। दरअसल प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। एक समय वे पीएम पद के भी दावेदार थे। हालांकि इंदिरा गांधी की मौत के बाद वे कांग्रेस से कुछ समय के लिए दूर भी हो गए थे। 1986 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी भी बनाई थी। हालांकि तीन साल बाद ही उन्होंने अपने मतभेद पार्टी से खत्म कर अपने दल का कांग्रेस में विलय कर दिया था।
प्रणब मुखर्जी एक स्पष्ट और प्रखर राजनेता के रूप में जाने जाते रहे हैं। कई बार वे कुछ मुद्दों को लेकर अपनी पार्टी लाइन से अलग होकर भी बयान देते रहे हैं। उनकी बेबाक शैली के लिए विरोधी भी उनके कायल रहे हैं। कुछ समय पहले जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे तो आरएसएस चीफ मोहन भागवत उनसे मिलने भी पहुंचे थे।
Created On :   30 May 2018 5:30 PM IST