मोबाइल और कंप्यूटर की जासूसी आदेश के खिलाफ, जल्द सुनवाई से SC का इनकार

Another PIL filed challenging governmentt notification allowing 10 agencies to monitor computers
मोबाइल और कंप्यूटर की जासूसी आदेश के खिलाफ, जल्द सुनवाई से SC का इनकार
मोबाइल और कंप्यूटर की जासूसी आदेश के खिलाफ, जल्द सुनवाई से SC का इनकार
हाईलाइट
  • SC ने याचिका पर जल्द सुनवाई से किया इनकार।
  • SC में 10 एजेंसियों को निगरानी करने की अनुमति देने वाली सरकारी अधिसूचना के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल।
  • अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट से इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 10 एजेंसियों को निगरानी करने की अनुमति देने वाली सरकारी अधिसूचना के खिलाफ एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है। अब कोर्ट में एक और जनहित याचिका दाखिल की गई है। ये याचिका एडवोकेट अमित साहनी ने लगाई है। इस याचिका में सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट से इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है।

साहनी का कहना है कि आईटी एक्ट की धारा 69 केंद्र और राज्य सरकारों को भारत की संप्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा के लिए इस तरह के निर्देश जारी करने का अधिकार देता है, लेकिन 20-12-2018 के आदेश में ऐसा कोई कारण दर्ज नहीं किया गया है और सामान्य निर्देश पारित किए गए हैं, जिसका अर्थ है कि किसी के भी कंप्यूटर को निगरानी में रखा जा सकता है।

इससे पहले एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने भी कोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी और सरकार के निगरानी वाले आदेश को चैलेंज किया था। मनोहर लाल शर्मा का कहना है कि सरकार की यह अधिसूचना गैरकानूनी, असंवैधानिक और कानून के विपरीत है। शर्मा ने कहा, अधिसूचना का मकसद अघोषित आपातस्थिति के तहत आगामी आम चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक विरोधियों, विचारकों और वक्ताओं का पता लगाकर पूरे देश को नियंत्रण में लेना है। याचिका में कहा गया है कि हमारे देश का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

क्या कहा गया है सरकारी आदेश में?
गृह मंत्रालय की ओर से आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत दिए गए आदेश में कहा गया है कि किसी भी कम्प्यूटर, मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में रखी, प्राप्त हुई या उससे भेजी गयी सूचना पर निगरानी रख सकती है। निगरानी रखने का अधिकार 10 एजेंसियों को दिया गया है। अधिसूचना में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि किसी भी कंप्यूटर संसाधन के प्रभारी सेवा प्रदाता या सब्सक्राइबर इन एजेंसियों को सभी सुविधाएं और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे। इस संबंध में कोई भी व्यक्ति या संस्थान ऐसा करने से मना करता है तो "उसे सात वर्ष की सजा भुगतनी पड़ेगी।"

किन-किन एजेंसियों को निगरानी का अधिकार?
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (NCB), प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), कैबिनेट सचिवालय (RAW), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार होगा।

Created On :   24 Dec 2018 1:36 PM GMT

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