विरासत में मिली थी खराब अर्थव्यवस्था, एनडीए सरकार ने बदली देश की दशा : अरुण जेटली
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केन्द्र में मोदी सरकार के चार साल पूरे होने पर केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक मोर्चे पर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई हैं। उन्होंने कहा है कि वर्तमान सरकार के 4 साल के कार्यकाल में भारत की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव हुए हैं। उन्होंने बताया है, "वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), विमुद्रीकरण और कालेधन के खिलाफ उठाए गए कदमों से भारतीय अर्थव्यस्था में औपचारिक बदलाव आए हैं। केन्द्र सरकार के प्रयासों से आज भारत एक कमजोर अर्थव्यवस्था न होकर प्रगतिशील अर्थव्यवस्था में शुमार हो गया है।"
जेटली ने यह बातें एक फेसबुक पोस्ट के जरिए रखी हैं। शुक्रवार को ही उन्हें एम्स में सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण के बाद आईसीयू से बाहर निकाला गया है। फिलहाल वे आराम कर रहे हैं। अपनी पोस्ट में एनडीए सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए जेटली लिखते हैं, "यूपीए के शासन काल में राजकोषीय घाटा काफी बढ़ गया था। सरकार की आमदानी कम थी और खर्च बेहद ज्यादा। यूपीए के आखिरी तीन सालों में राजकोषीय घाटा क्रमश: 5.8 फीसदी, 4.8 फीसदी और 4.4 फीसदी रहा था। एनडीए सरकार आते ही इस कमजोर अर्थव्यवस्था में कायापलट का दौर शुरू हुआ और आज राजकोषीय घाटा 3.5 फीसदी पर आ गया है।"
महंगाई पर विपक्षी पार्टियों द्वारा मचाए जा रहे हंगामे पर भी जेटली ने प्रहार किया है। उन्होंने लिखा है, "यूपीए सरकार के दौरान आखिरी सालों में महंगाई दर नौ फीसदी से ज्याद रही है, एक बार तो यह दहाई के अंक तक भी पहुंच गई थी, जबकि एनडीए सरकार में महंगाई को तीन से चार फीसदी तक सीमित रखा गया है।"
आर्थिक मोर्चे पर उपलब्धियों के अलावा जेटली ने केन्द्र सरकार की अन्य कामयाबियों पर भी अपने विचार रखे हैं। उन्होंने लिखा है..
- ठेकों, प्राकृतिक संसाधनों, स्पेक्ट्रम आदि का आवंटन अब बाजार आधारित व्यवस्था से होता है।
- कानूनों को बदला गया है। अब फाइलों का ढेर नहीं लगता है।
- 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के 10 साल देश में स्वतंत्रता के बाद सबसे भ्रष्ट सरकार के साल रहे।
- पीएम मोदी ने बड़े फैसलों के जरिए देश को भ्रष्टाचार मुक्त सरकार प्रदान की है।
- पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अनिर्णय की स्थिति से स्पष्टता व निर्णायकता की ओर यात्रा शुरू की है।
- कांग्रेस, एक प्रभावशाली पार्टी से हाशिये की ओर बढ़ रही है।
- कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति मुख्यधारा की पार्टी की नहीं रह गई है।
- कांग्रेस अब बीजेपी को रोकने के लिए क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को समर्थन दे रही है जो उसके लिए ही खतरनाक है।
- कांग्रेस ने तोल-मोल करने की क्षमता खो दी है। वह क्षेत्रीय दलों के आगे आसानी से समर्पण कर दिया।
Created On :   26 May 2018 8:17 PM IST