बिहार में कांग्रेस को झटका, अशोक चौधरी समेत चार MLC ने थामा JDU का हाथ
- अशोक चौधरी को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के पद से 26 सितंबर 2017 को हटा दिया गया था।
- अशोक चौधरी गुट ने बुधवार की देर शाम विधान परिषद के उपसभापति हारुण रशीद को आवेदन देकर सदन में अलग गुट के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया।
- औपचारिक ऐलान के पहले कांग्रेस ने इन चारों बागी एमएलसी अशोक चौधरी
- दिलीप चौधरी
- तनवीर अख्तर और रामचंद्र भारती को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
- बिहार में क
डिजिटल डेस्क, पटना। कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश के उपचुनाव में मिली जीत के जश्न में डूबी हुई थी, उधर बिहार में उनके चार एमएलसी ने देर शाम पार्टी छोड़ जदयू में शामिल होने का ऐलान कर दिया। होली के ठीक पहले बिहार कांग्रेस में बड़ी टूट हो गई। इन नेताओं के अचानक से पार्टी बदलने के फैसले पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का कहना है कि ये सभी जनाधार विहीन नेता है। इनके जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हालांकि औपचारिक ऐलान के पहले कांग्रेस ने इन चारों बागी एमएलसी अशोक चौधरी, दिलीप चौधरी, तनवीर अख्तर और रामचंद्र भारती को पार्टी से बाहर को रास्ता दिखा दिया। इससे पहले अशोक चौधरी गुट ने बुधवार की देर शाम विधान परिषद के उपसभापति हारुण रशीद को आवेदन देकर सदन में अलग गुट के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया।
पार्टी में अशोक चौधरी का कद घट गया था
बता दें कि कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी काफी समय से पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे। वे समय-समय पर इसका इजहार भी करते थे। दूसरी तरफ पार्टी में उनका कद लगातार घटता जा रहा था। इस कारण वे सीपी जोशी को ठहराते थे। उनका कांग्रेस का छोड़ना अप्रत्याशित इसलिए नहीं रहा कि इसकी पृष्टभूमि उसी समय से तैयार हो रही थी जब से वे मंत्री पद से हटे थे। कांग्रेस छोड़ने का फैसला लेने के बाद देर रात अपने सरकारी आवास 1, पोलो रोड में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में डॉ. चौधरी ने कहा कि मैंने अध्यक्ष पद संभालने के बाद बिहार में कांग्रेस को खड़ा किया।
डॉ. चौधरी ने कहा नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं। न ही वे जाति की राजनीति में विश्वास करते हैं। उनका ध्येय राज्य का विकास करना है। इस वक्त उनके जैसा दूसरा कोई राजनेता नहीं। उन्होंने कहा जदयू में जाने के पीछे पद जैसी कोई लालसा मेरी नहीं है। पार्टी मुझे जो दायित्व सौंपेगी उसका मैं निर्वहन करुंगा। तनवीर अख्तर और दिलीप कुमार चौधरी को इसकी वैधानिक व कानूनी पहली की जानकारी का भार सौंपा गया।
डॉ. चौधरी ने कहा कि यह तो जनता तय करेगी कि दलित का बड़ा नेता कौन है? मांझी अपना खुद का चुनाव नहीं जीत सकते ऐसे में वे दलितों के कितने बड़े नेता हैं, इसका सहज आकलन किया जा सकता है। एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा आगे देखिए, अभी कांग्रेस को और लोग भी अलविदा कहेंगे।
सरफराज की भरपायी करेंगे तनवीर अख्तर
मंगलवार से ही इन लोगों की गतिविधियां तेज हो गयी थी, चारों एमएलसी विधान परिषद के सभापति से मिले और दोपहर में पूरी तैयारी जब पूरी हो गयी तो देर शाम औपचारिक ऐलान हो गया। बता दें कि तनवीर अख्तर के जदयू में शामिल होने पर हाल ही में इस्तीफा दिए सरफराज की भरपायी होगी। जदयू से नाराज चल रहे उदय नारायण चौधरी की कमी को अशोक चौधरी पूरी करेंगे। राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि जदयू में औपचारिक तौर पर शामिल होने के बाद उन्हें मंत्री पर से भी नवाजा जा सकता है।
तनवीर अख्तर जमुई लोकसभा सीट पर भी नजर बनाए हुए हैं। हालांकि एक बार वे वहां से वे चुनाव लड़ चुके हैं और बुरी तरह से हार का सामना भी कर चुके हैं। अशोक चौधरी का कांग्रेस में बड़ा दर्जा इसलिए था कि वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। विधानसभा में कांग्रेस को चार से 27 सीट तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी।
ये हैं पार्टी बदल चुके नेताओं का प्रोफाइल
बता दें कि पार्टी से बाहर का रास्ता देख चुके चारों एमएलसी इन पदों पर रह चुके हैं। कांग्रेस के बड़े दलित नेता महावीर चौधरी के पुत्र अशोक चौधरी 2014 में एमएलसी बने। इसके पहले 2000 में विधायक थे। राबड़ी मंत्रिमंडल में जेल और नीतीश मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री थे। तनवीर अख्तर 2016 में एमएलसी बने थे, इसके पहेल युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे। इसके साथ साथ स्टेट बैंक के निदेशक रहे और जेएनयू छात्रसंध के अध्यक्ष रहे। दिलीप चौधरी कांग्रेस से दो टर्म से विधान परिषद के सदस्य रहे, वह मिथिलांचल से आते हैं। विधान परिषद का एक प्रमुख चेहरा भी हैं। रामचंद्र भारती राज्यपाल कोटे से विधान परिषद के सदस्य रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के करीबी माने जाते हैं। संगठन में सक्रिय रहते हैं।
Created On :   1 March 2018 8:22 AM IST