‘बेटी बचाओ, रोटी बनवाओ’ मैसेज वाले विज्ञापन पर बवाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सरकार कई तरह के विज्ञापनों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हाल ही में सामने आए एक विज्ञापन ने बवाल मचा दिया है। दरअसल इन दिनों सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन वायरल हो रहा है। इस विज्ञापन बेटियों को बचाने के लिए ही दीवार पर बनाया गया है, लेकिन लिखे गए संदेश के विरोध में विज्ञापन की आचोलना की जा रही है।
ये विज्ञापन एक दीवार पर पेंट किया गया है। जिसमें एक छोटी सी बच्ची रोटी बनाती हुई दिखाई दे रही है। विज्ञापन में लिखा है- कैसे खाओगे उनके हाथ की रोटियां, जब पैदा ही नहीं होने दोगे बेटियां"। हालांकि ये विज्ञापन मोदी सरकार के "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं" नारे से प्रेरित लग रहा है, लेकिन इस विज्ञापन को किसने बनाया है और किस राज्य का है अभी तक पता नहीं चल सका है।
Beti bachao, Kaam pe lagao, Roti sekao.
— Karuna Nundy (@karunanundy) May 27, 2018
Make your own rotis, fool. pic.twitter.com/TVZNuBUhqq
सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी ने विज्ञापन की तस्वीर ट्विटर पर शेयर की है। तस्वीर वायरल होने के बाद इस विज्ञापन का जमकर विरोध किया जा रहा है। करुणा नंदी ने फोटो के साथ विज्ञापन पर तंज कसते हुए लिखा है कि, "बेटी बचाओ, काम पे लगाओ, रोटी सिंकवाओ...अपनी रोटियां खुद बनाओ"।
So give birth to girls so they can cook for you, along with other housework. Good job, Govt. #BasEkAurSaal pic.twitter.com/yOcf1kRilh
— Hasiba B. Amin (@HasibaAmin) May 28, 2018
करुणा के इस ट्वीट पर कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की कन्वीनर हासिबा बी अमीन ने लिखा है, तो बेटियों को जन्म दीजिए ताकि वो आपके लिए खाना बना सकें, आपके घर का काम कर सकें।
Which primitive minded idiot made this? Beti is not a roti maker! Paint it on your face @Shehla_Rashid @MachoMaestro @banojyotsna @poojashukla04 @ pic.twitter.com/cW4VtpREly
— Aga thariq Aliyar (@AgaThariq) May 28, 2018
सोशल मीडिया पर लोगों सवाल खड़े कर रहे हैं कि "क्या बेटियों का काम सिर्फ रोटी बनाना होता है?" ट्विटर यूजर्स तरह-तरह के उदाहरण देकर विज्ञापन की आलोचना कर रहे हैं। कुछ लोगों ने कहा, बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों को टक्कर दे रही हैं. ऐसे में बेटियों को सिर्फ घरेलू कामकाजी के रूप में दिखाना पुरुषवादी सोच के अलावा कुछ नहीं है।
Manusimiriti soch ki ek example dikh Rahi hai advertisement mein
— Maninder Singh cheema (@Maninder2331) May 27, 2018
What if beti refuses to make roti? https://t.co/HWl36LUSPg
— Nandini (@Nandini1720) May 27, 2018
हालांकि कुछ लोगों ने ये तर्क भी दिया है कि, ये विज्ञापन उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो कम पढ़े-लिखे हैं। जिससे वो बेटियों को इस दुनिया में आने दें।
Created On :   29 May 2018 12:15 PM IST