भीमा कोरेगांव मामले पर बोले CJI- नहीं मिले पक्के सबूत, 19 को होगी अगली सुनवाई
- पक्ष रखने के लिए सरकार को 20 मिनट और पीड़ितों को 10 मिनट का समय मिलेगा।
- पिछली सुनवाई में पांचों वामपंथी विचारकों को नजरबंद रखने के दिए थे आदेश
- भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट 19 को करेगा सुनवाई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में की गई पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई। केंद्र सरकार ने कुछ और सबूत पेश करने की मोहलत मांगी है। वहीं CJI ने पक्के सबूत नहीं मिलने की बात कही है। इस वजह से मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
रद्द भी हो सकता है मामला- SC
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है, अगली सुनवाई में सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 20 मिनट और पीड़ितों को 10 मिनट का समय मिलेगा। इस हिसाब से सभी एक्टिविस्टों को बुधवार तक हाउस अरेस्ट में ही रहना होगा। CJI ने कहा है, सभी सबूतों को देखने के बाद फैसला लिया जाएगा। अगर संतुष्ट नहीं हुए तो मामला रद्द भी हो सकता है।
मामले में SIT जांच की मांग
सरकार ने दावा किया है कि उन्हें लैपटॉप, हार्ड डिस्क से कई तरह के सबूत मिले हैं। जो भी दस्तावेज़ मिले हैं उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई है। इस पर SC ने कहा, हम उनके खिलाफ सबूत देखना चाहते हैं। वहीं याचिकाकर्ता ने मामले की SIT जांच कराने की मांग की है। SC ने याचिकाकर्ता से पूछा है अगर वो मामले में SIT जांच चाहते हैं तो अपनी याचिका को संशोधित कर दायर करें।
स्वतंत्र जांच के लिए आदेश दे सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान ASG मनिंदर सिंह ने कहा, नक्सल की समस्या गंभीर मुद्दा है। इस तरह की याचिकाओं को सुना जाएगा तो एक खतरनाक प्रिंसिपल सेट होगा। उन्होंने सवाल भी उठाया है कि, क्या संबंधित कोर्ट इस तरह के मामलों को नहीं देख सकती? हर मामले को सुप्रीम कोर्ट में क्यों लाना? याचिकाकर्ता के वकील ने कहा इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए, ऐसा आदेश सुप्रीम कोर्ट ही दे सकता है।
पीएम की हत्या की साजिश का मामला
वहीं वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि यह मामला पीएम की हत्या की साज़िश का है, जबकि FIR में इसका कोई जिक्र नहीं है। अगर मामला इतने गंभीर आरोपों से जुड़ा है तो इसकी CBI या NIA जांच क्यों नहीं कराई जा रही? उन्होंने कहा दोनों FIR में पांचों का नाम नहीं है, ना ही उन्होंने किसी सम्मेलन में भाग लिया था। उन्होंने बताया इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पूर्व जज भी शामिल हुए थे। इससे पहले भी इन लोगों पर कई मामले दर्ज हुए थे, लेकिन सभी में वे बरी हो गए थे।
12 सितंबर को हुई थी सुनवाई
बता दें कि इससे पहले 12 सितंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने वरवर राव समेत पांच वामपंथी विचारकों की नजरबंदी और पांच दिन के लिए बढ़ा दी थी। इस मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई टल गई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविल्कर और डीवाइ चंद्रचूड़ की खंडपीठ ने अगली सुनवाई सोमवार यानी 17 सितंबर के लिए बढ़ा दी थी। एक वरिष्ठ वकील के मुताबिक गिरफ्तार सुरेंद्र गडलिंग खुद का पक्ष अदालत में रखना चाहते हैं। उन्हें फिलहाल इजाजत नहीं दी गई है, हालांकि उनके पास 25 साल का अनुभव भी है।
अलग-अलग स्थानों से किया था गिरफ्तार
भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में देश के विभिन्न शहरों में पुणे पुलिस ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और माओवादी नेताओं के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार किया था। हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं में मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता वेरनॉन गोंजाल्विस, प्रोफ़ेसर पी वरावरा राव, अरुण फरेरा और पत्रकार गौतम नवलखा शामिल हैं। गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा गया था।
Created On :   17 Sept 2018 12:43 PM IST