बिहार विधान परिषद चुनाव : प्रत्याशियों के नाम सुन कई नेता असंतुष्ट

Bihar Legislative Council Election: Many leaders dissatisfied after hearing candidates names
बिहार विधान परिषद चुनाव : प्रत्याशियों के नाम सुन कई नेता असंतुष्ट
बिहार विधान परिषद चुनाव : प्रत्याशियों के नाम सुन कई नेता असंतुष्ट

पटना, 25 जून (आईएएनएस)। बिहार में छह जुलाई को होने वाले नौ विधान परिषद की सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। प्रत्याशी घोषित होने के बाद से जहां विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं, वहीं इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जातीय गुटबंदी भी शुरू हो गई है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संजय मयूख और सम्राट चौधरी को विधान परिषद चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों विधानसभा कोटे से पार्टी के प्रत्याशी होंगे। पार्टी ने बुधवार को उनके नाम पर मुहर लगाई है।

संजय मयूख को पार्टी ने दोबारा मौका दिया है, जबकि सम्राट चौधरी पहली बार पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाए गए हैं। विधानसभा में पार्टी सदस्यों की संख्या के हिसाब से दोनों की जीत पक्की है।

पिछले दिनों विधानसभा कोटे से 9 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हुआ था। इनमें 6 जदयू के और 3 भाजपा के थे। भाजपा के संजय मयूख, कृष्ण कुमार सिंह और राधामोहन शर्मा का कार्यकाल पूरा हुआ था। संख्याबल के अनुसार, भाजपा केवल दो को ही फिर से विधान परिषद भेज सकती थी। संजय मयूख को पार्टी ने फिसे उम्मीदवार बनाया है, जबकि दूसरी सीट पर कुशवाहा जाति के सम्राट चौधरी को विधान परिषद में भेजने का निर्णय लिया गया। चौधरी जदयू से भाजपा में आए हैं।

कहा जा रहा है कि भूमिहार समाज कृष्ण कुमार सिंह और राधामोहन शर्मा के टिकट कटने से नाराज है। सिंह ने तो पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति समेत सारे पदों को छोड़ने की घोषणा तक कर दी है। हालांकि उन्होंने पार्टी में बने रहने की बात कही है।

सिंह ने कहा, संजय मयूख को पार्टी दोबारा मौका दिया गया। वे कर्मठ हैं। यह ठीक है। लेकिन मुझे किस आधार पर दोबारा मौका नहीं दिया गया, यह समझ से परे है।

भाजपा नेता कृष्ण कुमार सिंह ने पार्टी पर भूमिहारों की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, मैं जनसंघ काल से ही पार्टी से जुड़ा हुआ हूं। मेरे साथ न्याय नहीं हुआ। अब भूमिहारों को नजरअंदाज किया गया है।

इस बीच, सत्ताधारी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी अपने कोटे की तीन सीटों पर गुलाम गौस, भीष्म सहनी और कुमुद वर्मा को विधान परिषद भेजने का निर्णय लिया है। इनमें गौस जहां अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं, वहीं सहनी को विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी के काट के रूप में देखा जा रहा है। कुमुद वर्मा कुशवाहा जाति से आती हैं।

बिहार विधान परिषद में समीकरण के मुताबिक, राजद और जदयू के खाते में तीन, भाजपा के खाते में दो और एक सीट कांग्रेस के पास है। मुख्य विपक्षी पार्टी राजद की ओर से फारूक शेख, सुनील सिंह और रामबली चंद्रवंशी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है।

इधर, वंचित समाज पार्टी के उपाध्यक्ष ललित सिंह ने भी पार्टियों पर विधान परिषद चुनाव में भूमिहारों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राजद, कांग्रेस, भाजपा और जदयू की वास्तविकता सामने आ गई। किसी पार्टी ने भी ब्रह्मजन (भूमिहार) समाज को प्रत्याशी नहीं बनाया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में चार से पांच प्रतिशत मतदाता इस समाज से आते हैं। भाजपा की ओर से दो भूमिहार जाति से आने वाले विधान पार्षदों का कार्यकाल भी समाप्त हुआ था, लेकिन उनके एवज में भूमिहार नेताओं को विधान पार्षद नहीं भेजा गया। सिंह ने कहा कि जदयू और भाजपा भूमिहार को केवल वोट बैंक समझती हैं। दोनों पाटियां जब सत्ता में पहुंच जाती हैं तो उन्हें दूध में गिरी मक्खी की तरह निकालकर फेंक देती हैं।

Created On :   25 Jun 2020 3:30 PM IST

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