नेपाल ने दिया भारत को झटका, BIMSTEC के पहले सैन्य अभ्यास में सेना भेजने से इनकार
- BIMSTEC के सैन्य अभ्यास में नेपाल ने सेना भेजने से किया इनकार
- नेपाल के इनकार से मची राजनीतिक हलचल
- प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रीय रक्षा बल से कहा है कि वह इस सैन्य अभ्यास में हिस्सा न ले।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक राजनीतिक विवाद के बाद नेपाली सेना ने भारत में होने जा रहे बिम्सटेक (Bimstec) के पहले सैन्य अभ्यास में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रीय रक्षा बल से कहा है कि वह इस सैन्य अभ्यास में हिस्सा न ले। प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद नेपाली सैन्य नेतृत्व को भारत की पहल पर बनाए गए क्षेत्रीय समूह बिम्सटेक के पहले सैन्य अभ्यास से अपने कदम पीछे खींचने पड़े। जानकारी के मुताबिक, यह फैसला ऐसे समय में किया गया जब कल ही नेपाली सेना का एक दस्ता पुणे रवाना होने वाला था। सोमवार से पुणे में ही बिम्सटेक देशों का सैन्य अभ्यास शुरू होने वाला है।
गौरतलब है कि सभी सात सदस्य देशों की थल सेनाएं छह दिवसीय अभ्यास के लिए 30-30 सदस्यों का अपना दस्ता भेजने पर सहमत हुई थीं। यह कार्यक्रम उस वक्त विवादों से घिर गया जब अभ्यास में हिस्सा लेने का फैसला करने से पहले राजनयिक या राजनीतिक स्तर पर कोई सहमति कायम नहीं की गई। इस बीच ऐसी भी खबरें आई थी कि जिसमें बताया जा रहा है कि नेपाल सरकार ने सेना को निर्देश दिया कि वह अभ्यास में हिस्सा नहीं ले। जबकि एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि उन्हें कोई औपचारिक निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन 30 सदस्यीय दस्ते को रवाना होने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि अभ्यास की तैयारियों के सिलसिले में पहले ही पुणे पहुंच चुके तीन सैन्य अधिकारी भी जल्द ही लौटेंगे।
सैन्य अभ्यास के लिए भारत का था प्रस्ताव
दिल्ली में बिम्सटेक देशों के सैन्य अफसरों की बैठक के बाद भारतीय सेना ने जून में संयुक्त सैन्य अभ्यास का प्रस्ताव रखा था। जिसके भारत के पुणे शहर में ये अभ्यास किया जा रहा है। इसमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल की सेनाएं शामिल हो रही है। हालांकि नेपाल ने अभ्यास में भाग लेने से मना कर दिया है।
चीन-नेपाल की नजदीकियां बढ़ीं
चीन ने नेपाल को अपने 4 बंदरगाह और 3 लैंड पोर्ट इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। इससे चारों तरफ जमीन से घिरे नेपाल की भारत पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी। पड़ोसी देशों में प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन पहले कर्ज बांटने की नीति अपना रहा था। अब वह अपने संसाधनों का इस्तेमाल करने की छूट दे रहा है। भारत के लिए यह चिंताजनक है।
Created On :   9 Sept 2018 3:15 PM IST