भाजपा का आरोप लगाने वाला स्टंट काम नहीं आने वाला : कांग्रेस
- भाजपा का आरोप लगाने वाला स्टंट काम नहीं आने वाला : कांग्रेस
नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से एपीएमसी एक्ट को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलने के बाद अब कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा की ओर से महज आरोप लगाए जाने से काम नहीं चलेगा।
पार्टी ने कहा कि कांग्रेस पर गलत तरीके से आरोप लगाने के बजाय उन्हें काले कानूनों को वापस लेना चाहिए, जो कि समय की जरूरत भी हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा, भाजपा को महसूस करना चाहिए कि पंडित नेहरू और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संपग्र) को दोषी ठहराने के उनके हमेशा प्रयोग में लाए जाने वाले, घिसे-पिटे एवं हमेशा दोहराए जाने वाले स्टंट किसानों के विरोध को समाप्त नहीं करेंगे। पूरे देश को खिलाने वाले किसान भाजपा की किसान विरोधी नीतियों से तंग आ चुके हैं। कांग्रेस केवल एक ही बात चाहती है कि एमएसपी का हक-किसान के हाथ में रखा जाए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा के सामने कई सवाल दागे और पूछा कि एमएसपी हटाने से क्या सुधार होंगे। कांग्रेस नेता ने सवाल पूछते हुए कहा, क्या कांग्रेस ने एमएसपी को खत्म करके एपीएमसी सुधारों के बारे में बात की थी?
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यदि नए कानून किसान समर्थक हैं, तो भाजपा इन्हें लेकर किसानों को समझाने में विफल क्यों रही है और किसानों पर लाठियों और वॉटर कैनन से हमला क्यों किया जा रहा है?
शेरगिल ने आरोप लगाया कि, भाजपा सरकार सुधारक की बजाय विध्वंसक की भूमिका निभा रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कानून मंत्री कृषि नीति की व्याख्या करते हैं और कृषि मंत्री रक्षा सौदों की व्याख्या करते हैं और इसीलिए वे यह नहीं समझते कि एमएसपी छीनना किसानों पर एक प्रकार से हिरोशिमा में बम गिराने जैसा है।
कांग्रेस ने लगभग सभी विपक्षी दलों के साथ मंगलवार को भारत बंद का समर्थन किया है।
केंद्र सरकार की ओर से तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
गतिरोध को खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच पांचवें दौर की वार्ता भी सफल नहीं हो सकी। अब दोनों पक्ष किसान प्रतिनिधियों और सरकार ने नौ दिसंबर को बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई है।
सरकार और किसान नेताओं के बीच शनिवार को हुई पांचवें दौर की बातचीत में कोई हल नहीं निकल सका। दोनों पक्ष तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर अपने रुख पर अड़े हुए हैं। किसान पूरी तरह से कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार बीच का रास्ता निकालकर समस्या का हल करना चाह रही है। किसानों का कहना है कि सरकार जब तक तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती, तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
एकेके/एएनएम
Created On :   7 Dec 2020 6:00 PM IST