बाम्बे हाईकोर्ट ने जाकिर नाईक को राहत देने से किया इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाम्बे हाईकोर्ट ने सांप्रदायिक अशांति फैलाने के आरोपी इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जाकिर ने जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी या इच्छा नहीं दिखाई है। जाकिर पर अवैध गतिविधियां चलाने के आरोप भी लगे हैं। नाईक ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया था कि उसके पासपोर्ट के निरसन का आदेश रद्द करने का विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया जाए। जाकिर नाइक ने अपने खिलाफ चल रही जांच में राहत पाने के लिए यह याचिका दाखिल की थी।
Bombay High Court dismissed a petition filed by Zakir Naik challenging National Investigation Agency charges-sheet filed against him. The court also did not entertain his request to issue directions to Ministry of External Affairs to revoke suspension of his passport.
— ANI (@ANI) June 20, 2018
मलेशिया में बैठा है जाकिर नाईक
न्यायमूर्ति आर एम सावंत और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की खंडपीठ नाईक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायमूर्तियों ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अदालत कैसे नाईक की याचिका पर विचार कर सकती है जबकि वह जांच एजेंसियों के सामने पेश ही नहीं हुए। याचिकाकर्ता मलेशिया में बैठा है और वह जांच एजेंसियों को जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश देने की मांग कर रहा है।’’
Bombay High Court observed that relief can"t be given to Zakir Naik as he has not cooperated with the investigating agencies and is a proclaimed offender.
— ANI (@ANI) June 20, 2018
जाकिर नाईक को भारत आना चाहिए
बता दें कि नाईक के खिलाफ भादसं की धारा 153 (ए) (विभिन्न धर्मों के बीच वैमनस्य फैलाना) और अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धाराएं 10,13 और 18 (जिनका संबंध अवैध संघ से संबंधित होने, गैर कनूनी गतिविधियों को बढ़ावा और आपराधिक साजिश से है) के तहत मामला दर्ज है। कोर्ट ने कहा कि जाकिर नाईक को भारत आना चाहिए था और जांच एजेंसियों के सामने पेश होना चाहिए। याचिकाकर्ता की गैरहाजिरी में हम कोई भी फैसला नहीं कर सकते।
ढाका हमले का जिम्मेदार है जाकिर
जाकिर नाईक एनआईए और ईडी की जांच का सामना कर रहा है, पीस टीवी पर नाईक का भाषण ढाका में 2016 के हमले की एक वजह था। इस हमले में 22 लोगों की मौत हो गई थी। नाईक के गैर सरकारी संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को 2016 में ही अवैध घोषित किया जा चुका है। इस मामले में भी 18 करोड़ रुपए से अधिक की रकम के धन शोधन के आरोपों की प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है।
Created On :   20 Jun 2018 6:27 PM IST