राज्यसभा में पेश किया गया SC/ST एक्ट संशोधन बिल, लोकसभा की लग चुकी है मुहर

Cabinet approve bill to restore the original provisions of the SC/ST Act
राज्यसभा में पेश किया गया SC/ST एक्ट संशोधन बिल, लोकसभा की लग चुकी है मुहर
राज्यसभा में पेश किया गया SC/ST एक्ट संशोधन बिल, लोकसभा की लग चुकी है मुहर
हाईलाइट
  • केंद्रीय कैबिनेट ने SC/ST प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी बिल में बदलाव को मंजूरी दे दी है।
  • संशोधन में इस एक्ट के मूल प्रावधान फिर से बहाल करने को मंजूरी दी गई है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में SC/ST एक्ट के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। SC/ST प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी संशोधन बिल 2018 आज राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। लोकसभा में इस पर पहले ही मुहर लग चुकी है। अधिनियम को अपने पुराने और मूल स्वरूप में फिर से लागू करने के लिए लोकसभा में संविधान संशोधन बिल ध्वनि मत से पारित हो गया था। इस दौरान भाजपा और विपक्ष ने एक दूसरे पर दलित और आरक्षण विरोधी होने के आरोप लगाए। विपक्ष ने इस एक्ट को संविधान की नवीं अनुसूची में डालने की मांग करते हुए इस मामले में अध्यादेश जारी न करने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर दलितों-आदिवासियों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। 

 


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मार्च में SC/ST एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने इस एक्ट के कुछ अहम प्रावधानों को ये कहते हुए निरस्त कर दिया था कि इनका दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था। इस दौरान कई जगहों पर हिंसक घटनाएं भी हुई थी। SC/ST एक्ट के समर्थन में बुलाए गए इस बंद को कई विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल था।

इस सम्बंध में जून में रामविलास पासवान ने अमित शाह से एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के मूल कड़े प्रावधानों को फिर से बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की। पासवान का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों की छवि दलित विरोध बन जाएगी, इस छवि को हटाने के लिए SC/ST के कड़े प्रावधानों को हर हाल में फिर से बहाल करना होगा।

कोर्ट के फैसले के बाद से ही मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही थी और विपक्षी दल सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे। सहयोगी दल भी लगातार सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की मांग कर रहे थे। दलित संगठनों और विपक्षी दलों के भारी विरोध और सहयोगी दलों की मांग के बाद बीजेपी नेताओं को यह सफाई देना पड़ी थी कि जब तक बीजेपी की सरकार है, तब तक SC/ST एक्ट भी रहेगा और आरक्षण भी रहेगा।
 

Created On :   1 Aug 2018 12:28 PM GMT

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