सऊदी अरब से गर्भवती महिलाओं को निकालने पर विचार करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच सऊदी अरब में फंसी गर्भवती चिकित्सकों और नर्सों की वापसी को प्राथमिकता देने की संभावना पर विचार किया जाए।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, विदेश से भारतीयों को लाने के मामले में इन महिलाओं को पहले ही प्राथमिकता दी जा चुकी है।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ के समक्ष दलील दी कि इन चिकित्सा पेशेवरों की गर्भावस्था एडवांस चरण में है और उनकी निकासी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
सऊदी अरब में फंसी 18 गर्भवती चिकित्सा पेशेवरों को वापस लाने के लिए केंद्र से एक निर्देश की मांग करने वाली याचिका पर पीठ वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही थी।
याचिका में कहा गया है कि ये डॉक्टर व नर्सें कोरोनावायरस महामारी के कारण पनपे संकट के समय में कठिनाइयों का सामना कर रही हैं, इसलिए उन्हें समय रहते वापस लाया जाना चाहिए।
अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, सरकार याचिकाकर्ताओं के विशेष मामलों के अनुसार आगे की प्राथमिकता का पता लगाएगी और उचित कदम उठाएगी।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी डिलीवरी के लिए मार्च और अप्रैल में विभिन्न तारीखों पर भारत वापस आने की योजना बनाई थी।
दलील में कहा गया है कि उन्होंने काफी पहले ही भारत आने की योजना बनाने के साथ ही अपने टिकट बुक कराए थे, लेकिन विदेशों से आने वाली उड़ानों के लिए भारत के हवाईअड्डे बंद होने की वजह से उन्हें अपने टिकट रद्द कराने पड़ गए, जिसके कारण सभी याचिकाकर्ता सऊदी अरब में फंस गईं। दलील में कहा गया कि ऐसी स्थितियां अजन्मे बच्चे और मां दोनों के लिए घातक हो सकती हैं।
याचिका में दलील दी गई कि याचिकाकर्ता गर्भावस्था के एडवांस चरण में हैं और उन्हें अपने गर्भधारण के 36वें सप्ताह से पहले भारत वापस आने की आवश्यकता है।
Created On :   8 May 2020 10:30 PM IST