भारत पर 'Water Bomb' से हमला कर सकता है चीन
By - Bhaskar Hindi |27 July 2017 4:58 AM GMT
भारत पर 'Water Bomb' से हमला कर सकता है चीन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दिनों से बॉर्डर पर जो टेंशन बढ़ रहा हैए वैसा तनाव 1962 में भी बढ़ा था। चीन बार.बार अपनी हरकतों से भारत को उकसाने की कोशिश करने में लगा है और भारत ने भी साफ कर दिया है कि चीन इस बार भारत को हल्के में लेने की कोशिश कतई न करे। जाहिर है कि दोनों देशों के बीच श्वॉरश् की कंडीशन भी पैदा हो चुकी है। ऐसी कंडीशन में हम चीन को भी कम करके नहीं आंक सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के पास श्पानीश् की इतनी बड़ी शक्ति है कि वो उसे भारत के खिलाफ कभी भी इस्तेमाल कर सकता है। आइए जानते हैं चीन के इस 'Water Bomb' के बारे में।
क्या है ये Water Bomb?
चीन दुनिया में डेम बनाने के लिए फेमस है और उसने तिब्बत के कई नदियों पर कब्जा कर डेम बना लिए हैं। इसके अलावा भारत की भी ब्रह्मपुत्र नदी पर भी डेम बनाकर रखा है। ऐसे में चीन इस पानी का Water Bomb के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। कई साइंटिस्टों का मानना है कि यदि चीन और भारत के बीच टेंशन ज्यादा बढ़ता हैए तो भारत को सबक सिखाने के लिए चीन सबसे पहले Water Bomb से से हमला कर सकता है। अगर चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर बने डेम को खोल देता है, तो उससे असम, बंगाल, मेघालय और बांग्लादेश को पूरी तरह से डुबा सकता है।
तिब्बत के सहारे भारत को पहुंचा सकता है नुकसान
चीन ने 1950 में ही तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। यह उसकी सबसे बड़ी ताकत है। दरअसल चीन के पास जितना पानी है उससे भी 40 हजार गुना ज्यादा तिब्बत के पास है। और तिब्बत के सहारे चीन का यहां के सारे Water Resources पर चीन का अधिकार है। तिब्बत की सारी नदियां Low Coastal Countries (निम्न तटीय देश) से होकर गुजरती हैं, जिससे आने वाले दिनों में भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के लिए मुसीबत बढ़ सकती है। तिब्बत से निकलने वाली नदियों पर काफी हद तक भारत और बांग्लादेश भी डिपेंड हैं। भारत- बांग्लादेश के बीच तो Treaty of water sharing (जल साझेदारी संधि) है, लेकिन चीन के साथ ऐसी कोई संधि नहीं है, जिसका फायदा चीन युद्ध के समय उठा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश पर भी नजर
चीन की नजर अब अरुणाचल प्रदेश के 200 मिलियन क्यूसेक पानी पर है। चीन ज्यादा से ज्यादा पानी को अपने कब्जे में करना चाहता है, क्योंकि पानी न सिर्फ एग्रीकल्चर के लिए जरूरी है, बल्कि देश की इकोनॉमी के लिए भी बहुत जरूरी है। भारत के पास चीन से ज्यादा एग्रीकल्चर लैंड है, लेकिन भारत के पास पानी की बहुत कमी है। भारत अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए तिब्बत से निकलने वाली नदियों पर निर्भर है।
डेम बनाकर ताकतवर बन रहा चीन
चीन पूरी दुनिया में डेम बनाने के लिए काफी मशहूर है। अकेले चीन में 50 हजार से ज्यादा बड़े डेम हैं। चीन इंटरनेशन रिवर पर डेम बनाने के लिए एकतरफा रवैया अपना रहा है। चीन अब तक ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों पर 10 डेम बना चुका है, जबकि 3 का काम चल रहा है। इसके अलावा 8 डेम बनाने के लिए चीन प्रपोज़ल पास कर चुका है और 7 और डेम बनाने पर चीन सोच रहा है। चीन के इस तरह से बड़े डेम बनाने से न केवल भारत को नुकसान है बल्कि एनवायरमेंट के लिए भी खतरा है। चीन ऐसी हरकतों से भारत पर प्रेशर डालने की कोशिश में है। वो चाहता है कि भारत इसके लिए उसे मना करे और वो फिर अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के विवाद पर भारत को मजबूर करने की कोशिश करेगा।
क्या कर सकता भारत ?
चीन से निपटने के लिए भारत को कुछ सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। उसे चीन को इस तरह की हरकतें नहीं करने के लिए मनाना पड़ेगा। इसके साथ ही भारत को अपनी Water Policy में भी बदलाव करना पड़ेगा, क्योंकि भारत पानी के लिए तिब्बत पर काफी हद तक निर्भर है और तिब्बत चीन के कब्जे में है। ऐसे में भारत को कई कदम एक साथ उठाने जरूरी हैं। इसके अलावा भारत पड़ोसी देशों की भी मदद लेकर चीन पर दबाव बना सकता है। भारत चीन को घेरने के लिए International Water Resources के United Nations के कानून का भी सहारा ले सकता है। यूनाइटेड नेशंस के इस कानून के आर्टिकल-11 के मुताबिक किसी भी International Water Resources के इस्तेमाल के लिए दोनों देशों के बीच साझेदारी होना बहुत जरूरी है। चीन ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के पानी को डेम बनाकर अपने कब्जे में ले रहा है, लेकिन इसके लिए उसने कभी भी भारत से न ही कोई बात की और न ही किसी भी तरह की साझेदारी की है।
Created On :   25 July 2017 6:09 AM GMT
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