यूएनएससी में चीन कश्मीर मामले में अलग-थलग पड़ा
संयुक्त राष्ट्र, 7 अगस्त (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(यूएनएससी) में चीन ने अपने नवीनतम प्रयास में कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, जिसमें वह पूरी तहर अलग-थलग पड़ गया। साथ ही अमेरिका ने इसका जवाब सीमा-पार आतंकवाद का मुद्दा उठाकर दिया। कूटनीतिक सूत्रों से यह जानकारी मिली।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया, बुधवार को हुए अनौपचारिक बैठक में, अमेरिका के अलावा जर्मनी, फ्रांस और रूस भारत के पक्ष में मजबूती से खड़े नजर आए और यूएनएससी में इस मामले की चर्चा का विरोध किया, क्योंकि यह द्विपक्षीय मामला है।
सूत्रों ने बताया, रूस ने शिमला समझौते 1972 का हवाला दिया, जिसके अंतर्गत दोनों देश अपने विवाद को बिना किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के सुलझाने पर सहमत हुए थे। साथ ही रूस ने कहा कि यह परिषद इस चीज का फोरम नहीं है।
अमेरिका ने जोर देकर कहा कि परिषद की ओर से इस बारे में कोई प्रेस वक्तव्य या कुछ भी जारी नहीं किया जाएगा। इसका अन्य देशों ने समर्थन किया।
इससे पहले भी बीजिंग द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाने का दो प्रयास भारत को मिल रहे समर्थन की वजह से असफल हो चुका है। इस बार चीन का अलग-थलग पड़ना लाजिमी था, जिसपर कोविड-19 महामारी को फैलाने और इसे छुपाने के लिए हिमालय से लेकर दक्षिण चीन सागर तक आक्रामक रूख अख्तियार करने का आरोप है।
चीन इसके अलवा उईगर समुदाय की प्रताड़ना के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय आलोचना झेल रहा है, जिसमें से कईयों को पांबदी शिविरों में रखा गया है।
चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग ने इसलिए सावधानी पूर्वक कश्मीर में मानवाधिकार का मुद्दा नहीं उठाया।
कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, इसके बावजूद, चीन ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा परिषद के अध्यक्ष डियान त्रियानस्याह जनी को भेजे के पत्र से वार्ता को भड़काने की कोशिश की, जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर में मानवधिकार का मुद्दा है।
इस बात के संकेत मिले की झांग मामले में भारत के साथ विवाद को शांत करना चाहते हैं। इससे दो महीने से भी कम समय पहले लद्दाख में चीनी सेना और भारतीय सेना में झड़ हुई थी।
जो बयान निकलकर सामने आया, उसमें झांग ने भारत को दोस्ताना पड़ोसी बताया और यह भी कहा कि बीजिंग नई दिल्ली के साथ दोस्ती के रिश्ते को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
झांग ने इसके अलावा कहा कि भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय समझौते के अंतर्गत अपने विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाना चाहिए।
परिषद के एजेंडे में कश्मीर मुद्दे को लाने में चीन कई बार विफल रहा है। झांग ने इसबार यह मामला सीरिया पर विचार विमर्श को समाप्त होने के बाद अनौपचरिक रूप से उठाया।
भारत ने गत वर्ष 5 अगस्त को ही जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था जिसके बाद यह पकिस्तान के दोस्त चीन के लिए यह मामला उठाने का माकूल समय था।
इससे पहले दो अवसरों पर चीन अनौपचारिक सेशन के बाद मीडिया से बात करने में सक्षम रहा था, जबकि उस समय भी परिषद ने प्रेस वक्तव्य जारी नहीं किया था। लेकिन इस बार कोरोना के चलते यूएनएससी ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बैठक हुई, जिससे झांग को परिषद के बाहर मीडिया को बयान देने का अवसर नहीं मिला।
Created On :   7 Aug 2020 2:00 PM IST