चीन ने फिर की हरकत, भारतीय श्रद्धालुओं को मानसरोवर में डुबकी लगाने से रोका

Chinese officials prevent devotees from diving in lake of Mansarovar
चीन ने फिर की हरकत, भारतीय श्रद्धालुओं को मानसरोवर में डुबकी लगाने से रोका
चीन ने फिर की हरकत, भारतीय श्रद्धालुओं को मानसरोवर में डुबकी लगाने से रोका

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन ने बेशक नाथू ला दर्रा खोल दिया हो लेकिन चीन कुछ ना कुछ भारत के लिए मुश्किलें पैदा करता रहता है। इस बार चीन के अधिकारियों ने भारतीय श्रध्दालूओं को मानसरोवर की पवित्र झील में स्नान करने से रोक दिया। मानसरोवर पहुंचे भारतीय श्रध्दालूओं ने आरोप लगाया कि चीनी अधिकारियों ने उन्हें पवित्र ताल में डुबकी नहीं लगाने दी। फिलहाल इस मामले में भारत और चीन दोनों ही सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

बता दें कि पिछले साल नाथू ला दर्रे को बंद कर दिया था। जिससे कैलाश मानसरोवर की यात्रा में श्रध्दालूओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मामले को लेकर चीनी विदेश मंत्री से बात भी की थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच नाथूला दर्रा खोलने पर सहमति बनी थी।

सुषमा स्वराज ने 8 मई को प्रेस कॉन्फेंस में कहा था कि चीनी विदेश मंत्री से इस यात्रा को लेकर बातचीत हो गई है। सुषमा स्वराज ने कहा कि इस साल करीब 1580 तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर पाएंगे। जिसमें 18 बैच में 60 श्रध्दालूओं को लिपुलेख दर्रा मार्ग से और 10 बैच में 50 यात्रियों को नाथू ला दर्रे से होकर जाना होगा। इस एलान के पूरे 20 दिनों के बाद इस प्रकार की घटना सामने आई है।

गौरतलब है कि भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से हर साल जून से सितंबर के बीच कैलास मानसरोवर की यात्रा आयोजित की जाती है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है और वहां पहुंचने के लिए यात्रियों को नेपाल के रास्ते होकर जाना पड़ता है।

हिंदू धर्म में मानसरोवर यात्रा का महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार यहां भगवान शिव का निवास स्थान होने के कारण इस स्थान का महत्व 12 ज्योर्तिंलिगों में सर्वश्रेष्ट माना जाता है। यह जगह रहस्यमयी बताई जाती है। श्रध्दालूओं का मानना है कि कैलाश मानसरोवर में कोई भी व्यक्ति यदि इस झील में एक बार डुबकी लगा लें तो वह रुद्रलोक पहुंच जाता है। बताया जाता है कि यहां देवी सती का दांया हाथ गिरा था। जिससे यह झील तैयार हुई। यहा एक पाषाण शिला भी है, जिसे श्रध्दालूओं द्वारा पूजा जाता है।

कैलाश मानसरोवर झील और राक्षस झील ये दोनों ही झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करती है। जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। इस पवित्र स्थान पर आप जब दक्षिण की ओर देखेंगे तो एक स्वास्तिक चिन्ह बना हुआ दिखाई देगा। इस अलौंकिक स्थान पर प्रकाश तंरगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो "ओम" जैसा सुनाई देता है।

Created On :   28 May 2018 6:32 PM IST

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