सिटिजंस फोरम ने साइकिल चालकों के लिए डेडिकेटेड इन्फ्रास्टक्चर की मांग दोहराई
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनस)। राइट टु वे और सड़क-यात्री संघर्ष वर्तमान दौर के उन प्रासंगिक मुद्दों में से एक है, जिसका सामना लगभग हर आधुनिक शहर को करना पड़ रहा है। लगभग 11 लाख साइकिल चालकों वाला शहर दिल्ली घातक सड़क दुर्घटनाओं में देश में सबसे ऊपर है और पैदल चलने वालों से लेकर साइकिल चालक तक सड़क दुर्घटनाओं का शिकार बन रहे हैं।
शहरी सड़कों को तैयार करने में मोटर गाड़ियों की रफ्तार को बढ़ाने पर जोर है, इस फेर में बुनियादी ढांचे की उपेक्षा हो रही है और पैदल-चालकों, साइकिल सवारों और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वालों के अधिकार दम तोड़ रहे हैं।
सिटिजन फोरम ने राष्ट्रीय राजधानी में पिछले सप्ताह एक साइकल चालक की मौत की कड़ी निंदा करते हुए नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट (एनएमटी) को ध्यान में रख कर शहरी योजना नीति तैयार करने की अपनी मांग दोहराई है। जान गंवाने वाला शख्स सिरी फोर्ट में काम करता था और अपनी आजीविका कमाने साइकिल से अपने कार्यस्थल जा रहा था।
साइकिल को लाखों लोगों के लिए परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन और कोविड-19 के बाद उपजे हालात में भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वाले लोगों के लिए आवागमन का एक संभावित साधन बताते हुए सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी नेटवर्क इंडिया (एसयूएमएनईटी) के सदस्य, वल्र्ड कार-फ्री नेटवर्क और नेशनल साइक्लिस्ट यूनियन, दिल्ली के सदस्य राजेंद्र रवि ने कहा, यह चिंता की बात है कि अभी भी दिल्ली में पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों के लिए आवागमन के संकट को दिल्ली के लोगों ने पूरी तरह नहीं समझा है। शहरी इलाकों के नागरिकों को साइकिल से आजीविका की सुविधा मिलती है और यह उनके लिए आजीविका का एक जरूरी साधन बन जाता है। अपनी आजीविका कमाने के लिए हर रोज एकतरफा लगभग 10 किलोमीटर साइकिल चलाने वाले निम्न-आय वर्ग के 80 प्रतिशत श्रमिक वर्ग के आवागमन के साधन की रक्षा करना बेहद जरूरी है और निश्चित रूप से सरकार को इसकी चिंता होनी चाहिए।
संयोग से, सिटीजन फोरम द्वारा दिल्ली 2020 के लाइवलीहुड साइक्लिस्ट्स पर सर्वेक्षण में भी असुरक्षित सड़क निर्माण प्रथाओं और लापता साइकिलिंग बुनियादी ढांचे की कमी उजागर हुई है। आजीविका कमाने जाते कई साइकिल चालक समूहों में यात्रा करने के लिए पसंद करते हैं, ताकि मोटर चालकों के अत्याचार से बच सकें, इनकी मांग है कि सड़कों पर उन्हें अपना हिस्सा भी मिले। साइकल सवार, इसलिए समूह बना कर चलते हैं ताकि अगर किसी मुसीबत में फंस जाए तो एक दूसरे की मदद कर सकें।
सर्वेक्षण के आकलन से संकेत मिलता है कि घातक सड़क दुर्घटनाओं में साइकल सवारों और पैदल चलने वालों की संख्या अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है क्योंकि भारतीय शहरों में सड़कों को बनाने में वाहनों की उच्च गति को ध्यान में रखा जा रहा है, सभी के लिए सुरक्षित पहुंच सुनिश्चित करने को नहीं।
लॉकडाउन के बाद जैसे ही ट्रैफिक फिर से बढ़ने लगेगा, साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों की घटनाएं बढ़ेगी। दिल्ली के नागरिक, जिनमें वेंडर, फैक्ट्री कर्मचारी और दैनिक मजदूर शामिल हैं, विभिन्न रिक्शा और साइकिल यूनियनों के साथ इस मुहिम में शामिल हो गए हैं, ताकि दिल्ली सरकार से एक खुला पत्र जारी करते हुए सुरक्षित साइकिल इन्फ्रास्टक्चर बनाने के लिए फास्ट ट्रैक लेन और समर्पित साइकिल लेन स्थापित करने का आग्रह किया जा सके। इस कदम से न केवल टिकाऊ बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा, बल्कि शहर में प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने के लिए एनसीटी को प्रेरित करेगा।
जेएनएस
Created On :   21 Aug 2020 2:00 PM IST