इतिहास में पहली बार HC के सिटिंग जज पर दर्ज होगा केस, SC ने CBI को दी अनुमति

CJI allows CBI to file FIR against Justice Shukla of Allahabad HC under Prevention of Corruption Act
इतिहास में पहली बार HC के सिटिंग जज पर दर्ज होगा केस, SC ने CBI को दी अनुमति
इतिहास में पहली बार HC के सिटिंग जज पर दर्ज होगा केस, SC ने CBI को दी अनुमति
हाईलाइट
  • CJI ने CBI को जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दी
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला पर हैं भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप
  • यूपी के मेडिकल कॉलेज में MBBS के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट के सिटिंग जज के खिलाफ केस दर्ज होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन शुक्ला खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति सीबीआई को दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधी कानून (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज करने की इजाजत दी है। देश के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब सीबीआई हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज के खिलाफ केस दर्ज करेगा।

जस्टिस एसएन शुक्ला पर यूपी के मेडिकल कॉलेज में MBBS के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। जस्टिस शुक्‍ला पर यूपी के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए प्रवेश में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गड़बड़ी करने के आरोप हैं। सूत्रों के मुताबिक, निजी मेडिकल कॉलेज को लाभ पहुंचाने के लिए जस्टिस शुक्‍ला ने सत्र 2017-18 में प्रवेश तिथि बढ़ाई थी।

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने यूपी के महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह की शिकायत के बाद न्यायमूर्ति शुक्ला के खिलाफ प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था। दरअसल उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह की शिकायत पर सितंबर 2017 में सीजेआई दीपक मिश्रा ने एक आंतरिक जांच समिति गठित की थी। इस समिति में मद्रास हाईकोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी, सिक्किम हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एस के अग्निहोत्री और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीके जयसवाल शामिल थे। समिति को यह जांच करना था कि, क्या जस्टिस शुक्ला ने सच में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन की समयसीमा बढ़ा दी थी? कोर्ट के आंतरिक जांच में समिति ने जस्टिस शुक्ला को दोषी पाया था।

कथित तौर पर न्यायमूर्ति शुक्ला को पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा द्वारा इस्तीफा देने या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए भी कहा गया था। सीबीआई ने मुख्य न्यायाधीश गोगोई को पत्र लिखकर मामले में न्यायमूर्ति शुक्ला की जांच की अनुमति मांगी थी। गौरतलब है कि, भारत के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति के बिना किसी की कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया जा सकता है।

Created On :   31 July 2019 12:00 PM IST

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