उप्र में पंचायत चुनाव में दो बच्चों के मानक पर विचार

Consideration of standard of two children in UP panchayat elections
उप्र में पंचायत चुनाव में दो बच्चों के मानक पर विचार
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लखनऊ, 31 अगस्त (आईएएनएस) उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार राज्य में पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए दो बच्चों का मानक और न्यूनतम शिक्षा आधार को शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

पंचायती राज के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार किया जा रहा है और जल्द ही यह औपचारिक रूप ले सकता है।

बीते महीने केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान ने उत्तर प्रदेश सरकार से एक कानून लाने और दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को चुनाव लड़ने से रोकने की अपील की थी।

राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने ऐसे कानून बनाए हैं, जिसमें दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है।

उत्तराखंड ने भी इसी तरह का कानून पेश किया था, लेकिन बाद में राज्य के हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

बाल्यान ने एक पत्र के माध्यम से उत्तर प्रदेश की आबादी को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जहां अब 23 करोड़ से अधिक जनसंख्या है। उन्होंने दावा किया कि अगर राज्य इस तरह के कानून को लागू करता है, तो यह एक मिसाल कायम करेगा और आबादी को कम करने में मदद करेगा।

उन्होंने लिखा, हमारे राज्य को जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक अभियान शुरू करना चाहिए। और यह अगले पंचायत चुनाव से शुरू किया जा सकता है। जिनके पास दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें अगला चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

इस बीच कई विपक्षी दलों ने इस आधार पर प्रस्ताव लाने को लेकर आपत्ति जताई कि यह अन्यायपूर्ण और मनमाना है।

समाजवादी पार्टी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य पंचायत चुनाव लड़ने से निचले वर्गों को वंचित करना है।

पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि यह कदम असंवैधानिक है, क्योंकि इससे कमजोर और दलित लोगों को न्यूनतम शिक्षा आधार के कारण चुनाव लड़ने से रोका जाएगा।

कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि प्रस्तावित नियम पंचायती राज व्यवस्था की भावना के खिलाफ है, जो कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें राजनीतिक मुख्यधारा में लाने की मांग करते थे।

उन्होंने कहा, हालांकि हम जनसंख्या रोकने की आवश्यकता पर सहमत हैं लेकिन यह निश्चित रूप से ऐसा करने का तरीका नहीं है।

वहीं, उत्तर प्रदेश ग्राम प्रधान संघ ने कहा कि प्रस्ताव को उन्हें विश्वास में लिए बिना अंतिम रूप दिया जा रहा है और उन्होंने इसके लागू होने पर इसका विरोध करने की धमकी दी।

एमएनएस-एसकेपी

Created On :   1 Sept 2020 12:04 PM IST

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