कोविड नैतिकता का संकट, जवाबदेही तय हो : सत्यार्थी
- कोविड नैतिकता का संकट
- जवाबदेही तय हो : सत्यार्थी
नई दिल्ली, 9 सितंबर (आईएएनएस)। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कोविड-19 की वजह से चल रहे व्यवधान को शिष्टता और नैतिकता का संकट बताया है। उन्होंने कहा कि महामारी के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया असमान है और इसने वास्तविकता को उजागर किया है।
उन्होंने बुधवार को लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन समिट में अपने भाषण के दौरान यह बात कही।
सत्यार्थी ने कहा, हमारी रिपोर्ट कहती है कि वैश्विक आठ खरब डॉलर के वैश्विक कोविड-19 बेलआउट पैकेज का केवल 0.13 प्रतिशत ही सबसे अधिक हाशिए पर रहने वालों के लिए समर्पित है। यह एक प्रतिशत भी नहीं है, बल्कि आधा प्रतिशत भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सरकारों को जवाबदेह बनाए रखना है। उन्होंने कहा, अतीत में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि 40 नोबेल पुरस्कार विजेता सबसे अधिक हाशिए पर रहने वालों के लिए उचित हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं।
शिखर सम्मेलन में आयोजित चिल्ड्रन प्रिवेंटिंग द लॉस ऑफ ए जेनरेशन टू कोविड-19 सत्र का जिक्र करते हुए सत्यार्थी ने कहा कि वैसे तो कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को ही प्रभावित किया है, लेकिन इसका असर हाशिए पर रहने वाले लोगों पर कहीं अधिक पड़ा है।
उन्होंने कहा कि हाशिए पर रहने वाला समुदाय वायरस और इसके प्रभावों के खिलाफ सुरक्षात्मक उपायों के लिहाज से कम सक्षम है। उन्होंने कहा कि इससे इस समुदाय के लिए कई असमानताएं बढ़ गई हैं और वह लंबे समय तक इसका सामना करने के लिए मजबूर हैं।
सत्यार्थी ने इसे नैतिकता का संकट कहा। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों सहित सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले समुदाय के लिए वैश्विक बेल आउट पैकेज की 20 प्रतिशत सुविधा की मांग की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महामारी ने कैसे सभी को प्रभावित किया है, लेकिन असमानता और करुणा समय की जरूरत है।
इससे पहले सत्यार्थी ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कोविड-19 के कारण उत्पन्न हो हुई स्थिति से बच्चों पर पड़ने वाले व्यापक असर को लेकर अपने विचार रखे थे। उन्होंने साक्षात्कार में कहा कि कुछ राज्यों में भारत के श्रम कानून कमजोर पड़ने से बालश्रम में इजाफा देखने को मिलेगा। इसके अलावा देश में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से कई बच्चों की तस्करी होने का खतरा है।
उन्होंने कहा, कोविड-19 के आगमन ने न केवल प्रगति रोकी है, बल्कि वैश्विक नेताओं की बेहद असमान कोविड-19 प्रतिक्रिया के साथ अब हमें पिछले कुछ दशकों की प्रगति पर वापस पहुंचने में बहुत जोखिम भी है। किसी भी आपदा में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, लेकिन कोविड-19 के साथ प्रभाव एक अभूतपूर्व प्रकृति का रहा है। दुनियाभर में बाल श्रम, बाल तस्करी और गुलामी में निश्चित और पर्याप्त वृद्धि होगी। आज हम जो देख रहे हैं, वह हमारे समय में बच्चों के लिए एक सबसे गंभीर संकट है और अगर हम अब कार्य करने में विफल होते हैं, तो हम एक पूरी पीढ़ी को खोने का जोखिम उठाएंगे।
क्या भारत ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कार्य किया है? इस सवाल के जवाब में सत्यार्थी कहते हैं, इस दिशा में प्रयास किए गए हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने महामारी के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए हैं। मैं आपसे कहता हूं कि इस पर आप मेरी प्रतिक्रिया (शब्द) न लें। मैं केवल सबसे पीछे के बच्चों के लिए एक आवाज हूं। मैं आपसे देश में बच्चों द्वारा सामना की जा रही वास्तविकता पर सरकारों के जवाब का आकलन करने के लिए कहता हूं।
एकेके/एसजीके
Created On :   9 Sept 2020 9:01 PM IST