मोदी सरकार के खिलाफ 4 पार्टियों का 'अविश्वास प्रस्ताव', आज होगा पेश !
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) और YSR कांग्रेस के बाद अब कांग्रेस भी मोदी सरकार के खिलाफ "अविश्वास प्रस्ताव" लाने जा रही है। इस बारे में कांग्रेस ने सोमवार को लोकसभा महासचिव को नोटिस भी दिया है। कांग्रेस के अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि मंगलवार को इन सभी प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है। वहीं YSR कांग्रेस का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो उसके सभी सांसद इस्तीफा दे देंगे। सबसे पहले YSR कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, लेकिन सदन में हंगामे के चलते ये पेश नहीं हो सका। बता दें कि सदन में पिछले 15 दिनों से जोरदार हंगामा चल रहा है, जिस वजह से सदन की कार्यवाही ठप पड़ी है।
सरकार के खिलाफ 4 अविश्वास प्रस्ताव
1. मोदी सरकार के खिलाफ अब 4 पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। सबसे पहले YSR कांग्रेस ने नोटिस दिया था, जिसे टीडीपी ने भी समर्थन दिया था। फिर बाद में टीडीपी ने भी आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने के कारण मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया।
2. कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे। इसके लिए पार्टी कई पार्टियों से बात कर रही है, ताकि प्रस्ताव पर समर्थन जुटाया जा सके। बता दें कि लोकसभा में कांग्रेस के पास 48 सांसद हैं।
3. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए सीपीएम नेता पी करुणाकरन ने लोकसभा महासचिव को नोटिस दिया है। सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने बताया कि उनकी पार्टी ने 4 प्रमुख मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
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पिछले 15 दिनों से हंगामा हो रहा है सदन में
लोकसभा में पिछले 15 दिनों से लगातार हंगामा हो रहा है, जिसके चलते सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार पीएनबी स्कैम और अविश्वास प्रस्ताव जैसे मुद्दों पर बहस करने से बच रही है और इसीलिए सरकार सदन को चलाने का काम नहीं कर पा रही है। वहीं सरकार का कहना है कि वो अविश्वास प्रस्ताव समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। बता दें कि कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड की मांग और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग समेत कई मुद्दों पर लोकसभा में लगातार सांसद हंगामा कर रहे हैं, जिस कारण सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का कहना है कि जब तक सदन में व्यवस्था नहीं होगी, तब त अविश्वास प्रस्ताव को पेश नहीं किया जा सकता।
मांगें नहीं मानी तो इस्तीफा देंगे : YSR कांग्रेस
उधर YSR कांग्रेस के नेता एम राजमोहन रेड्डी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नहीं मानी जाती है और बजट सेशन को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया जाता है, तो पार्टी के सभी सांसद इस्तीफा देंगे।
क्या खतरे में है मोदी सरकार?
बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 282 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब लोकसभा में पार्टी के पास अपने 273 सांसद हैं। इसके साथ ही बीजेपी के सहयोगी दलों के 41 सांसद हैं। ऐसे में विपक्षी पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के लिए मोदी सरकार को सिर्फ 270 सांसदों का साथ चाहिए। अगर बीजेपी के सहयोगी दलों को भी छोड़ दिया जाए तो बीजेपी अकेले अपने दम पर सदन में विश्वास मत हासिल कर लेगी। ऐसे में देखा जाए तो मोदी सरकार को इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई खतरा नहीं है।
क्या है अविश्वास प्रस्ताव का गणित?
दरअसल, लोकसभा में जब किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार विश्वास खो चुकी है तो वो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है। अगर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है या वो पास हो जाता है, तो फिर रूलिंग पार्टी को सदन में विश्वास मत हासिल करना होता है और बताना होता है कि उसके पास सदन में जरूरी सांसद हैं। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। सदन में TDP के 16 सांसद और YSR कांग्रेस के 9 सांसदों के अलावा कांग्रेस के 48 सांसद, AIADMK के 37 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 34 सांसद, बीजू जनता दल के 20 सांसद, शिवसेना के 18 सांसद, TRS के 11 सांसद, CPI (M) के 9 सांसद और समाजवादी पार्टी के 9 सांसद हैं। अगर ये सभी सांसद मिल जाते हैं तो इस अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाएगी।
Created On :   27 March 2018 9:28 AM IST