क्रिप्टो और भारत का डिजिटल मुद्रा रह सकते हैं एक साथ : कॉइनस्विच सीईओ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडियन सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) भविष्य में क्रिप्टो के साथ चलन में आ सकती है, जो नवाचार को बढ़ावा दे सकती है। कॉइनस्विच के सह-संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल ने कहा कि इस बारे में पहले नहीं सोचा गया था। सिंघल ने आईएएनएस को बताया कि यह नवाचार और देश की मुद्रा की रक्षा के विचार में सहायक होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस सप्ताह अपनी डिजिटल मुद्रा का एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत नौ बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक-बाजार लेनदेन में इसके उपयोग की अनुमति मिली। सिंघल ने कहा, केंद्रीय बैंकों के पास दशकों से मुद्रा डिजिटल रूप में है। मैं भारत के अपने सीबीडीसी के सफल प्रोजेक्ट को देखकर खुश हूं।
सीबीडीसी के क्रियान्वयन की सटीक प्रकृति का अभी भी इंतजार है।
हालांकि बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) की नवीनतम वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (थोक नकद निपटान, सुरक्षा के पहलुओं में) की मदद से ऑटोमेशन का उपयोग कर डिजिटल सिक्का कोर बैंकिंग और सेटलमेंट सेक्टर में गेम चेंजर हो सकता है।
सिंघल ने आईएएनएस से कहा, अधिकांश आभासी डिजिटल संपत्ति (वीडीए) इस स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं कर रही हैं। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि सीबीडीसी वीडीए का सहअस्तित्व बना रह सकता है।
कॉइनस्विच के सीईओ ने कहा, रुपये को डिजिटाइज कर लेनदेन के जोखिम को कम किया जा सकता है, तेजी से निपटान प्रदान किया जा सकता है और बिचौलियों की संख्या कम की जा सकती है।
सिंघल के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी के बजाय हमें एक व्यापक वर्चुअल डिजिटल एसेट (वीडीए) की कल्पना करनी चाहिए।
सिंघल ने जोर देकर कहा, अधिकांश वीडीए का भुगतान के रूप में उपयोग नहीं किया जाता है, जो ई-रुपये के लिए प्राथमिक उपयोग का मामला है। मेरा मानना है कि सीबीडीसी और वीडीए एक साथ रह सकते हैं। उनके बीच नवाचारों की गुंजाइश है।
अधिकांश सीबीडीसी के पास किसी न किसी रूप में इंटरऑपरेबिलिटी की पेशकश होगी, ताकि भविष्य में क्रॉस-नेटवर्क और यहां तक कि सीमा पार समाधान भी बनाया जा सके।
(आईएएनएस)।
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Created On :   6 Nov 2022 3:00 PM IST