दिल्ली में बोले दलाई लामा, तिब्बत स्वतंत्र है, भारत-चीन के रिश्तों पर बात करने से बढ़ेंगी मुश्किलें

Dalai Lama said Historically and culturally Tibet has been independent
दिल्ली में बोले दलाई लामा, तिब्बत स्वतंत्र है, भारत-चीन के रिश्तों पर बात करने से बढ़ेंगी मुश्किलें
दिल्ली में बोले दलाई लामा, तिब्बत स्वतंत्र है, भारत-चीन के रिश्तों पर बात करने से बढ़ेंगी मुश्किलें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भारत के लोकतंत्र से लेकर भारत –चीन के रिश्ते तक की बात की। रविवार को दलाई लामा ने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में भारत की कोशिशों को सराहते हुए कहा कि देश अपनी धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के लिहाज से बेहद खास है। वहीं भारत-चीन के रिश्तों को लेकर उन्होंने कहा अगर वो दोनों देशों के रिश्तों पर बात करेंगे तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
 


तिब्बत एक स्वतंत्र देश है

रविवार को दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में स्थित नेहरू मेमोरियल म्युजियम एंड लाइब्रेरी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद के एक कार्यक्रम में दलाई लामा ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में तिब्बत को स्वतंत्र देश बताते हुए दलाई लामा ने कहा कि चीन के इतिहास में या फिर किसी भी किताब में इस बात का जिक्र नहीं है कि तिब्बत चीन का हिस्सा रहा है। भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से तिब्बत स्वतंत्र देश रहा है। चीन और तिब्बत की भाषाएं भी अलग हैं, इसलिए तिब्बत एक स्वतंत्र देश है।
 


भारत की धर्मनिरपेक्षता को सराहा

सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने में भारत की कोशिशों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपनी धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के लिहाज से बेहद खास है। भारत धर्मनिरपेक्ष परंपरा का पालन करता है और सभी धर्मो का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि इस देश की ये महानता है कि भाईचारे की भावना के साथ यहां अलग-अलग धर्म एक साथ चल रहे हैं। दलाई लामा का कहना है कि भारतीय सभ्यता ने महान विचारक और दार्शनिक पैदा किए हैं। भारतीय समुदाय को अब स्पष्ट कर देना चाहिए धार्मिक सौहार्द संभव है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में  प्राचीन भारतीय परंपराओं को शामिल करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा विश्व की समस्याओं को हल करने में मदद के लिए आधुनिक शिक्षा को अपनी प्राचीन परंपराओं से जोड़ने की भारत में योग्यता है।
 


भारत - चीन के रिश्तों पर नहीं बोले दलाई लामा

भारत-चीन के रिश्तों को लेकर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा अगर मैं यहां पर भारत- चीन के रिश्तों को लेकर बात करूं तो ये भारत की मुश्किलें बढ़ा देगा। उन्होंने भारत के विकास पर बात करते हुए कहा जैसे चीन के नागरिकों ने दूसरे देशों में चाइना टाउन बनाया है। उसी तरह अब भारत को भी इंडिया टॉउन बनाना चाहिए। उन्होंने कहा दूसरे देशों में जब भी मैं भारतीयों से मिलता हूं तो हमेशा उन्हें उनकी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने की सलाह देता हूं। भारतीय समुदाय की ये जिम्मेदारी है कि वे सदियों पुरानी अपनी परंपराओं को आगे बढ़ाएं।

 


अमेरिका -चीन के रिश्तों पर खुलकर की बात

हालांकि दलाई लामा ने भारत और चीन के रिश्तों पर खुलकर बात नहीं की लेकिन चीन और अमेरिका के बीच संबंधों को लेकर उन्होंने कहा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की बात करते हैं जबकि अमेरिका भी इसी दुनिया का हिस्सा है इसलिए उन्हें पूरी दुनिया की बात करनी चाहिए। उन्होंने ग्लोबल वॉर्मिंग पर चिंता जताते हुए कहा ग्लोबल वॉर्मिंग सबसे बड़ी समस्या है जिस पर पूरी दुनिया को साथ मिलकर कर काम करने की जरूरत है। गौरतलब है कि 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भारत आ गए थे। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार स्थित है।

Created On :   23 April 2018 8:55 AM IST

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