रक्षा बजट को बोझ समझना गलत, अर्थव्यवस्था के साथ सुरक्षा भी जरूरी : आर्मी चीफ

Defense budget is not a burden, security with the economy is also important: Army Chief
रक्षा बजट को बोझ समझना गलत, अर्थव्यवस्था के साथ सुरक्षा भी जरूरी : आर्मी चीफ
रक्षा बजट को बोझ समझना गलत, अर्थव्यवस्था के साथ सुरक्षा भी जरूरी : आर्मी चीफ

डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। सेना प्रमुख विपिन रावत ने मंगलवार को देश की अर्थव्यवस्था के साथ सैन्य शक्ति को भी बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में उसकी सेना का बल झलकता है। उन्होंने कहा, "लोगों के मन में ऐसी धारणा बन गई है कि वे सेना पर होने वाले खर्चे को बोझ समझने लगे हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि सरकार जो भी राशि सेना के ऊपर खर्च करती है उसका कुछ भी रिटर्न नहीं मिलता। लेकिन अगर देश की अर्थव्यवस्था आगे बढती है तो देश की सुरक्षा की तरफ भी ध्यान देना होगा।" उन्होंने चीन का हवाला देते हुए आगे कहा कि चीन आज ऐसी ताकत बन चुका है कि वह आज के दिन अमेरिका को चुनौती देने की स्थिति में आ पहुंचा है। और ऐसा सिर्फ इस कारण हुआ क्योंकि उसने कभी नहीं भूला कि सैन्य ताकत और अर्थव्यवस्था को सामान रूप से बढ़ाना चाहिए।

दुनिया चाहती है कि भारत चीन कि ताकत को संतुलित करे 
सेना प्रमुख ने आगे बोलते हुए कहा किस जैसे-जैसे चीन की ताकत बढती जा रही है, तब दुनिया के तामाम देशों की नजर भारत पर आ कर टिक गई है कि क्या हम ऐसे देश बन सकते हैं जो चीन के बढ़ते प्रभाव को सीमित कर सके। यह सब कुछ चीन की बढती दबंगई के कारण हो रहा है। विपिन रावत ने रक्षा बजट पर एक खुलासा करते हुए कहा कि पूरा रक्षा बजट मात्र सेना पर खर्च नहीं किया जाता है। सेना के कुल बजट का 35% हिस्सा राष्ट्र निर्माण पर खर्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब सीमा पर सैनिकों को मिलने वाली आधारभूत संरचना जितनी अधिक मजबूत होती है, तब हम बार्डर से दूर रहने वालों से उतना अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं। यह पूरे राष्ट्र को जोड़े रखने का काम करता है। उन्होंने कहा कि थल सेना, वायु सेना और नेवी तीनों को समान रूप से मजबूत करने की जरूरत है।

पाक को उसकी नापाक हरकतों पर चेताया 
पकिस्तान की हरकतों को देखते हुए आर्मी चीफ ने चेतावनी देते हुए कहा, "अगर पाकिस्तान सीमा पार से होने वाली अवैध गतिविधों में इजाफा करता है तो हमारे पास अगले लेवल पर जाने का भी विकल्प मौजूद है"। उन्होंने कहा कि सीमापार बैठे हुए लोगों को हमसे अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। हमने सुनिश्चित किया है कि किसी भी कारवाई में पकिस्तान को बराबर का नुकसान हो। जब पकिस्तान को यह महसूस होने लगेगा कि उन्हें हमसे अधिक नुकसान हो रहा है, तब हम उनसे अपनी शर्तों पर संघर्षविराम की बात करेंगे। हमें पकिस्तान कि शर्तों पर संघर्षविराम नहीं मंजूर है। 

Created On :   13 March 2018 11:06 PM IST

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