पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट

Delhi High Court to hear petition related to PM Cares Fund on November 18
पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली पीएम केयर्स फंड से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगा दिल्ली हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट शुक्रवार को प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) से संबंधित याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई के लिए तैयार हो गया। पहले यह मामला 30 नवंबर को तय किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिकाओं की जल्द सुनवाई की अनुमति दी, जिन्होंने संविधान के तहत पीएम केयर्स फंड को राज्य घोषित करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में पीएम केयर्स फंड के लिए भारत के प्रधानमंत्री के नाम, उनकी तस्वीर आदि को इसकी वेबसाइट पर उपयोग करने से रोकने की मांग की है।

याचिकाकर्ता ने पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट, ट्रस्ट डीड अन्य आधिकारिक/अनौपचारिक संचार और विज्ञापनों पर भारत के राज्य प्रतीक का उपयोग करने से रोकने की भी मांग की है। याचिका के जवाब में, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीएम केयर्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा किए गए स्वैच्छिक दान शामिल हैं और यह किसी भी तरह से केंद्र सरकार के कार्य का हिस्सा नहीं है। इसके अलावा, यह किसी भी सरकारी योजना या केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली का हिस्सा नहीं है और एक सार्वजनिक ट्रस्ट होने के नाते, यह भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) के ऑडिट के अधीन भी नहीं है।

पीएमओ द्वारा दायर एक हलफनामे में कहा गया है, यह दोहराया जाता है कि ट्रस्ट का फंड भारत सरकार का फंड नहीं है और यह राशि भारत के समेकित कोष में नहीं जाती है। हलफनामे में कहा गया है कि पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए, ट्रस्ट द्वारा प्राप्त धन के उपयोग के विवरण के साथ ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाल दी जाती है। केंद्र ने आगे कहा कि ट्रस्ट किसी भी अन्य धर्मार्थ ट्रस्ट की तरह बड़े सार्वजनिक हित में पारदर्शिता और जनहित के सिद्धांतों पर काम करता है और इसलिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपने सभी प्रस्तावों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। इसने दिल्ली उच्च न्यायालय से याचिका खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि इस तरह की प्रार्थना न केवल अनसुनी है, बल्कि कानूनी रूप से बनाए रखने योग्य भी नहीं है। एक अन्य याचिका में गंगवाल ने केंद्रीय जन सूचना अधिकारी और पीएमओ के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें पीएम केयर्स फंड से संबंधित दस्तावेज मांगने वाले आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया गया था। गंगवाल ने अधिवक्ता देबोप्रियो मौलिक और आयुष श्रीवास्तव के माध्यम से अपनी याचिका दायर की है।

(आईएएनएस)

Created On :   29 Oct 2021 10:01 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story