दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से करोड़ों की ठगी से हड़कंप, एफआईआर दर्ज (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

Delhi traffic police raped by crores of crores, FIR registered (IANS Exclusive)
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से करोड़ों की ठगी से हड़कंप, एफआईआर दर्ज (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस से करोड़ों की ठगी से हड़कंप, एफआईआर दर्ज (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। सूबे भर के आपराधिक मामलों की जांच की जिम्मेदारी निभाने वाली राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस खुद ठगी का शिकार हो गई है। ठगी भी छोटी-मोटी नहीं, वरन करोड़ों रुपये की। ठगी का भंडाफोड़ दिल्ली पुलिस की ही सतर्कता शाखा की जांच में हुआ है। फिलहाल दिल्ली पुलिस की ही आर्थिक अपराध शाखा ने केस दर्ज करके पड़ताल शुरू कर दी है। ठगी की इस घटना के सामने आने के बाद से दिल्ली पुलिस में हड़कंप मचा हुआ है।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ओ.पी. मिश्रा ने आईएएनएस से इस मामले में केस दर्ज कर लिए जाने की पुष्टि की है। ठगी कहिए या फिर धोखाधड़ी की यह सनसनीखेज घटना रेड लाइट कानून तोड़ने और निर्धारित सीमा से ज्यादा गति से चलने वाले वाहनों को पकड़ने वाले स्पीड डिटेक्शन कैमरों से संबंधित योजना से जुड़ी है।

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, धोखोधड़ी के चलते दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस को 9 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान है। इस धोखाधड़ी की तह में वह कंपनी है, जिसके कंधों पर इस योजना को फलीभूत कराने का ठेका दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की सिफारिश पर दिया गया था।

धोखाधड़ी और ठगी की इस घटना की पुष्टि करते हुए दिल्ली पुलिस प्रवक्ता, सहायक पुलिस आयुक्त अनिल मित्तल ने आईएएनएस को बताया, विजिलेंस जांच के बाद सच सामने आया था। लिहाजा, मैसर्स टर्बो कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के सूत्र बताते हैं, जिस कंपनी को काम का ठेका दिया गया था, वह ट्रैफिक पुलिस का काम कर पाने में सक्षम नहीं थी। इसके बाद भी उसे ठेका दे दिया गया। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर जब कंपनी अनुभवी नहीं थी तो फिर दिल्ली पुलिस या दिल्ली ट्रैफिक पुलिस में से ऐसी अनुभवहीन कंपनी को ठेका देने का अंतिम निर्णय आखिर किस अधिकारी ने लिया?

ठगी के इस मामले में जिम्मेदार ट्रैफिक और दिल्ली पुलिस के कुछ आला-अफसर तो अब दिल्ली से बाहर भी पोस्टिंग पर जा चुके हैं। इतना बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आ जाने के बाद, महकमे ने अपने गैर-जिम्मेदार और लापरवाह अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अब तक क्या कदम उठाए?

इस बारे में जब आईएएनएस ने दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त नरेंद्र सिंह बुंदेला से संपर्क साधने की कोशिश की, तो उनकी तरफ से कोई जबाब नहीं मिला।

सूत्रों के मुताबिक, करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी और ठगी की यह घटना साल 2000 से 2017 के बीच की है। अनुभव में पूरी तरह शून्य कंपनी ने दिल्ली पुलिस से करोड़ों रुपये की रकम ठगी। उसके बाद भी कंपनी बेहतर गुणवत्ता वाले कैमरे-रेड लाइट्स इत्यादि नहीं खरीद सकी। जो सामान खरीदा भी उसे इस्तेमाल करने का ज्ञान नहीं था। लिहाजा, वह करोड़ों रुपये कीमत का सामान भी गोदामों में पड़े-पड़े कबाड़ में तब्दील हो गया। कैमरे पहले से ही घटिया क्वालिटी के थे। गोदामों में पड़े-पड़े वे भी कूड़े में बदल गए।

उल्लेखनीय है कि इसी कंपनी के जिम्मे रख-रखाव यानी देख-रेख का जिम्मा भी था। अनुभवहीनता के चलते कंपनी यह जिम्मेदारी भी निभा पाने में नाकाम रही। इतना ही नहीं दिल्ली ट्रैफिक पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी ठग कंपनी के खिलाफ अंतिम निर्णय लेने से पहले ही बाकी पड़ा उसका काम किसी अन्य कंपनी को भी थमा दिया गया। हालांकि अब नई कंपनी अपना काम सुचारु रूप से करने के लिए प्रयासरत है।

दिल्ली पुलिस की सतर्कता शाखा द्वारा की गई घोटाले की जांच में भी उभर कर सामने आए तथ्यों को देखकर दिल्ली पुलिस के आला-अफसरों के होश उड़ गए। लिहाजा, पुलिस मुख्यालय के निर्देश और सतर्कता शाखा की जांच रिपोर्ट के आधार पर, दिल्ली पुलिस की ही आर्थिक अपराध शाखा ने 23 सितंबर (सोमवार) को आपराधिक मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

Created On :   25 Sept 2019 10:30 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story