दिल्ली हिंसा : हत्या के 3 आरोपियों को जमानत से अदालत का इनकार

Delhi violence: Court denies bail to 3 accused of murder
दिल्ली हिंसा : हत्या के 3 आरोपियों को जमानत से अदालत का इनकार
दिल्ली हिंसा : हत्या के 3 आरोपियों को जमानत से अदालत का इनकार
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 27 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को 20 वर्षीय दिलबर नेगी की मौत के मामले में तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिनका जला हुआ शव फरवरी में शहर के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में हुई हिंसा के दौरान मिला था।

दिल्ली पुलिस ने 26 फरवरी को मुख्य बृजपुरी रोड के पास चमन पार्क में एक मिठाई की दुकान से नेगी का क्षत-विक्षत शव बरामद किया था। वह अपनी मृत्यु से छह महीने पहले उत्तराखंड से राजधानी शहर आए थे।

मामले में प्राथमिकी पुलिस के एक सहायक सब-इंस्पेक्टर के बयान पर दर्ज की गई थी, जिन्होंने कहा था कि इलाके में सांप्रदायिक दंगे, आगजनी, लूटपाट और तोड़फोड़ हुई और समुदाय विशेष के दंगाइयों ने अनिल स्वीट शॉप को आग लगा दी, जिससे नेगी की मौत हो गई।

तीन लोगों अशरफ अली उर्फ खलनायक, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू को गिरफ्तार किया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बाद में उन्होंने जमानत की अर्जी दी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दंगे भयावह थे और इससे एक निर्दोष व्यक्ति की जान गई और साथ ही साथ आम जनता की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा।

न्यायाधीश ने कहा, मामले में आगे की जांच जारी है और अपराध स्थल पर दंगों में शामिल हुए कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया जाना है और इस स्तर पर आरोपियों की रिहाई आगे की जांच में बाधा डाल सकती है।

अदालत ने यह कहा कि मामले के चश्मदीद गवाह उसी इलाके के निवासी हैं और संभवत: अभी भी डरे हुए हैं और आरोपियों को अगर जमानत दिया जाता है तो आरोपियों द्वारा उन्हें धमकी देने की आशंका है, इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है।

कार्यवाही के दौरान, फैसल और राशिद की पैरवी कर रहे वकील अब्दुल गफ्फार ने जोर देकर कहा कि याचिककाकर्ता पास के इलाके के निवासी हैं और इसलिए मौके पर उनका सीडीआर लोकेशन दिखना उन्हें जमानत नहीं देने के लिए आधार नहीं बन सकता।

विशेष लोक अभियोजक मनोज चौधरी ने तर्क दिया कि दुर्भाग्यपूर्ण मौत सीएए विधेयक के पारित होने के विरोध में पिछले कुछ महीनों से हो रही घटनाओं की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप 24 फरवरी को शिव विहार तिराहा में हुई।

याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एकत्रित साक्ष्य चार गवाहों की मौखिक गवाही के साथ-साथ सीडीआर लोकेशन के रूप में तकनीकी साक्ष्य के रूप में है।

Created On :   27 July 2020 5:30 PM IST

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