क्षेत्र पर बीजिंग के आर्थिक फोकस के बावजूद, चीन-अफ्रीका संबंध तनावपूर्ण

Despite Beijings economic focus on the region, China-Africa relationship strained
क्षेत्र पर बीजिंग के आर्थिक फोकस के बावजूद, चीन-अफ्रीका संबंध तनावपूर्ण
क्षेत्र पर बीजिंग के आर्थिक फोकस के बावजूद, चीन-अफ्रीका संबंध तनावपूर्ण

नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि अफ्रीका महाद्वीप में ऋण सुविधाओं के साथ निवेश बढ़ाने के बावजूद अफ्रीका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा है। महाद्वीप में ड्रैगन का निवेश 2003 में जहां करीब 7.5 करोड़ डॉलर था, वहीं यह 2018 में बढ़कर 5.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।

सितंबर 2018 में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने महाद्वीप में 60 अरब डॉलर के निवेश के एक और दौर की घोषणा की थी, जो कि महत्वपूर्ण खनिजों सहित प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है।

हालांकि, इस क्षेत्र में ड्रैगन का बढ़ता आर्थिक प्रभुत्व अधिकांश अफ्रीकियों के साथ बेहतर साबित नहीं हुआ है और अफ्रीकी लोगों के बीच चीन विरोधी भावना काफी तीव्र है। स्थानीय लोगों ने चीन द्वारा किए जाने वाले भेदभाव, श्रम कानूनों के दुरुपयोग और आंतरिक राजनीतिक एवं आर्थिक मामलों में नियमित हस्तक्षेप पर चिंता जताई है।

यह भी ध्यान देने वाली बात है कि शी ने अफ्रीकी देशों के लिए विस्तारित ब्याज मुक्त ऋणों की भी घोषणा की थी, जिस पर अफ्रीकी सरकारों ने बीजिंग की प्रशंसा भी की थी। मगर इस कदम ने स्थानीय लोगों को और अधिक सावधान कर दिया है।

जाम्बिया की राजधानी लुसाका में जून में तीन चीनी नागरिकों, एक कपड़ा गोदाम के मालिक और उसके दो कर्मचारियों की हत्या कर दी गई थी, जो चीन विरोधी बढ़ती भावनाओं का प्रमाण है। उसी महीने में दो जिम्बाब्वे के श्रमिकों को उनके चीनी मालिक ने गोली मार दी थी। हालांकि, घटना को चीनी दूतावास ने एक अलग मामला बताया है।

चीन खनन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो महाद्वीप में बीजिंग के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का लगभग 30 प्रतिशत है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चीन की ओर से बड़ा टिकट निवेश भी आया है।

एक विदेश नीति विश्लेषक ने कहा कि चीन भले ही अफ्रीका में पैसा लगा रहा है, लेकिन ज्यादातर अफ्रीकी लोग नाखुश हैं और चीनी पर शक करते हैं।

भारत-अफ्रीका संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने वाले मंच इंडिया-अफ्रीका टुडे (आईएटी ने कहा कि चीन द्वारा भारी निवेश के बावजूद, अफ्रीकी ज्यादातर उन्हें शोषणकारी और अविश्वास के रूप में देखते हैं।

इंडिया-अफ्रीका टुडे ने कहा कि अफ्रीका में आम लोगों को चीन के निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से ज्यादा फायदा नहीं हुआ है।

आईएटी संस्थापक राव नरेंद्र यादव ने कहा कि भारत और अफ्रीका के बीच पुराने रिश्तों के साथ ही सांस्कृतिक संबंधों को देखते हुए भारत और भारतीयों के प्रति अफ्रीकियों का स्वाभाविक झुकाव और लगाव है।

उन्होंने कहा, हालांकि 40 से अधिक अफ्रीकी देशों में भारतीय प्रवासी मौजूद हैं, लेकिन भारत-अफ्रीका के संबंध कई दशकों से धीमे और सुस्त बने हुए हैं।

यादव ने बताया कि बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी निवेश करके, चीन अफ्रीका के कई हिस्सों में बड़े राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव बनाने में कामयाब रहा है।

एकेके/जेएनएस

Created On :   13 Aug 2020 6:30 PM IST

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