जन परामर्श के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) का मसौदा पेश
- व्यावसायिक क्षेत्रों का एकीकरण सुनिश्चित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जन परामर्श के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) के मसौदे को प्रस्तुत किया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के विजन को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) विकसित किया है। इससे अकादमिक और व्यावसायिक क्षेत्रों का एकीकरण सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे दोनों के बीच लचीलापन और गतिशीलता आएगी।
इस अवसर प्रधान ने कहा कि हमें भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, अगले 25 वर्षों में एक विकसित भारत के विजन को पूरा करना है और अपनी शतप्रतिशत आबादी को सशक्त बनाना है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एनईपी के तहत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क सबसे महत्वपूर्ण साधन साबित होगा। भारत अभूतपूर्व गति से प्रौद्योगिकी को अपना रहा है। हमें ज्ञान, कौशल और अनुभव को प्रोत्साहन देने के लिए सुधार लाने होंगे। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन वर्षों में 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के लिए ज्ञान प्राप्ति, व्यावहारिक प्रशिक्षण, सकारात्मक सामाजिक परिणामों के लिए क्रेडिट्स महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।
केंद्रीय मंत्री ने सभी संस्थानों, स्कूलों, आईटीआई, एआईसीटीई से संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों, केंद्र द्वारा वित्त पोषित एचईआई, राज्य विश्वविद्यालयों और नियामक निकायों से अपील की है कि वे नागरिकों से सुझाव लेने के लिए अपनी वेबसाइट पर नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के लिए जन परामर्श की मेजबानी करें।
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढांचा राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचा और राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा योग्यता ढांचा को शामिल करके नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट्स को निर्बाध रूप से एकीकृत करेगा। यह उन छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा में तेजी को समर्थन देता है जिनके पास सीखने की अनूठी प्रतिभा है और ये उस कार्यबल के पहले से सीखे होने को मान्यता देता है, जिन्होंने पारंपरिक पारिवारिक विरासत, काम के अनुभव या अन्य तरीकों से अनौपचारिक रूप से ज्ञान और कौशल हासिल किया है।
इसमें छात्रों के लिए ये ढांचा मल्टीपल एंट्री और एक्जिट, कामकाज के विकल्पों के प्रावधानों के जरिए अध्ययन शामिल है। यह पाठ्यक्रम की अवधि में लचीलापन सुनिश्चित करेगा। साथ ही शैक्षणिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक शिक्षा सहित सभी सीखने के घंटों के क्रेडिटकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह आजीवन सीखने का प्रावधान भी देगा, यानी, किसी भी समय कहीं भी सीखना इससे संभव हो सकेगा।
यह लचीले पाठ्यक्रम के साथ बहु-विषयक और समग्रतापूर्ण शिक्षा की स्थापना से छात्रों की मदद करेगा। यह शिक्षा के विषयों के बीच के कठिन भेद को दूर करने और अध्ययन के चुनावों को सम्मानजनक बनाना, एक ही पीरियड में एक से अधिक की अनुमति देने का भी काम करेगा। इसके साथ-साथ इस नई पहल से कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य आदि के भेद को दूर करने में मदद मिलेगी।
आईएएनएस
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Created On :   20 Oct 2022 1:00 AM IST