शिरडी मंदिर में ड्रेस कोड न तो नया और ना ही अनिवार्य : अधिकारी

Dress code in Shirdi temple neither new nor mandatory: officials
शिरडी मंदिर में ड्रेस कोड न तो नया और ना ही अनिवार्य : अधिकारी
शिरडी मंदिर में ड्रेस कोड न तो नया और ना ही अनिवार्य : अधिकारी
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अहमदनगर (महाराष्ट्र), 4 दिसम्बर (आईएएनएस)। श्री साईबाबा ट्रस्ट (एसएसटी) ने शुक्रवार को कहा कि विश्व प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन के लिए सुझाया गया सभ्य ड्रेस कोड न तो नया है और न ही अनिवार्य है, लेकिन भक्तों को अपने पैरों को कम से कम घुटनों तक और बाह को नीचे कोहनी तक ढके रहना चाहिए।

सामाजिक कार्यकर्ता और भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई द्वारा जारी एक अल्टीमेटम का उल्लेख करते हुए, एसएसएसटी के मुख्य प्रवक्ता राजाराम थेटे ने कहा कि सभ्य ड्रेस कोड प्रकृति में स्वैच्छिक है और 2005 में सुझाया गया था।

थेटे ने आईएएनएस से कहा, मंदिर के गेट पर पुराना बोर्ड फेडेड और क्षतिग्रस्त हो गया, इसलिए पिछले महीने हमने एक नया लगवाया। कुछ लोगों ने इसे गलत तरीके से नए ड्रेस कोड के रूप में बताया है .. यह 15 वर्षों से अस्तित्व में है। यह सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट प्रतीत होता है।

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग ऐसे कपड़े पहनते हैं जो मंदिर की गरिमा को कम कराते हैं और अन्य भक्तों द्वारा शिकायतें भी की जाती है।

थेटे ने कहा कि यह अनुरोध विशुद्ध रूप से लोगों के सहयोग की मांग कर रहा है।

मंदिर के एक स्वंयसेवक ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, कई भक्तों, विशेष रूप से कुछ महिलाएं शॉर्ट्स या स्लीवलेस टॉप में चील आती हैं जिसे साईंबाब के दर्शन के लिए कार में लगे अन्य लोग डिस्ट्रैक्टिंग और डिस्टर्बिंग पाते हैं।

पुणे में रहने वाली देसाई ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर एसएसटी अधिकारियों के खिलाफ लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करने के अलावा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

देसाई ने मंदिर प्रबंधन को 10 दिसंबर तक कथित ड्रेस कोड को हटाने की समयसीमा दी है और ऐसा नहीं करने पर उन्होंने शिरडी मंदिर में पहुंचकर बोर्ड को हटा देने की चेतावनी दी है।

वीएवी/एएनएम

Created On :   4 Dec 2020 1:01 PM GMT

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