सेहत के लिए खतरनाक है पानी के पाउच, सेंपल रिपोर्ट में फेल
डिजिटल डेस्क, सतना। जिस पानी की पाउच को सुरक्षित समझ कर आप अपनी प्यास बुझा रहे हैं, वह आपके लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं है। यह हम नहीं बल्कि वो टेस्ट रिपोर्ट कह रही है, जो हाल ही में राज्य खाद्य परीक्षण शाला से सामने आई है। गौरतलब है कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अभिहित अधिकारी ओम नारायण सिंह की अगुवाई में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने जिले के वॉटर प्लांटों से लेकर मिठाई की दुकानों में ताबड़तोड़ कार्रवाइयां की थी। इनकी सेम्पलिंग पिछले महीने ही हुई थी।
कहां-कहां के लिए गए थे नमूने
छापेमारी की शुरुआत 3 जून से हुई थी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी वेदप्रकाश चौबे, शीतल सिंह एवं सीमा सिंह ने पहली कार्रवाई मैहर के मड़ई के ब्रावे ब्रांड के नाम से पानी पैक करने वाली फर्म पर की। इसके प्रोपराइटर भीषम सिंह हैं जबकि दूसरा पानी का नमूना 9 जून को कुसुम एक्वा मिनरल्स उतैली और नीमी के एएस मिनरल्स के जलम ब्रांड का लिया गया। नियमों का पालन नहीं करने पर एहतियातन तीनों वॉटर पैकेजिंग प्लांट को सील भी कर दिया गया था।
पानी में झोल ही झोल
भोपाल स्थित राज्य खाद्य परीक्षण शाला ने बारी-बारी से पानी के 3 नमूनों की टेस्ट रिपोर्ट सतना भेजी है। रिपोर्ट के मुताबिक पाउच बंद पानी में झोल ही झोल पाया गया है। खाद्य विश्लेषक ने इसे ‘मिथ्याछाप’ की संज्ञा दी है। एक तो पाउच में बंद पानी शुद्ध यानि पीने योग्य नहीं पाया गया दूसरा पाउच में न तो बैच नम्बर का जिक्र था और न ही इसके बनने के बाद कब तक इस्तेमाल करना था इसका कोई उल्लेख। किसी भी ब्रांड में लेबलिंग नहीं थी। 3 से 28 जून के बीच खाद्य पदार्थों और पानी को मिलाकर 12 नमूने उठाए गए। इसमें दूध, पनीर, जीरा, बच्चों के खाने वाली रंगीन बर्फी, खोवे की मिठाई और धनिया के सेम्पल लिए। यानि विभाग ने तीमाही का लक्ष्य महज 6 दिनों में ही पूरा कर लिया है।
Created On :   8 July 2018 5:30 PM IST