ड्रग सीज़ में आया 300 फीसदी का उछाल, डॉर्क वेब का उपयोग बढ़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंडिया में ड्रग्स के व्यापर पर नोटबंदी का कोई भी असर होता नहीं दिख रहा है। नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने साल 2017 में 3.60 लाख किलो ड्रग्स सीज़ किए हैं। 2017 के NCB डेटा के मुताबिक पिछले 5 सालों में कोकीन, हिरोइन और कैनाबीस जैसे ड्रग्स की जब्ति में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसमे सबसे दिलचस्प बात ये है कि नेशनल कैपिटल दिल्ली में सबसे महंगे ड्रग कोकेन की सबसे ज्यादा 30 किलो की जब्ति हुई है। जबकि दूसरे नंबर पर 21.83 किलो के साथ महाराष्ट्र है। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि डार्क नेट का इस्तेमाल कर नई पीढ़ी आसानी से नशा करने वाली दवाएं हासिल कर रही है। क्रिप्टो करंसी से ड्रग्स की ऑनलाइन खरीद-फरोख्त अब एंटी नारकोटिक्स एजेंसियों के लिए नया चैलेंज है।
3.60 लाख किलो ड्रग्स सीज
रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 2,551 किलो अफीम, 2,146 किलो हिरोइन, 3,52,379 किलो गांजा, 3,218 किलो चरस और 69 किलो हाई-प्रोफाइल पार्टी ड्रग कोकीन तमाम एंटी-नार्कोटिक्स एजेंसियों ने जब्त किया है। 2017 में कुल 3.60 लाख किलो ड्रग्स सीज किए गए है। 2016 में ये 3.01 लाख, 2015 में करीब 1 लाख, 2014 में 1.1 लाख और 2013 में ये 1 लाख किलो के करीब था। रिपोर्ट के अनुसार पंजाब से 505.86 किग्रा, राजस्थान से 426.95 किग्रा अफीम, आंध्र प्रदेश से 78,767 किग्रा, ओडिशा से 55,875 किग्रा गांजा, उत्तर प्रदेश से 702 किग्रा, मध्य प्रदेश से 625 किग्रा हशीश (चरस), दिल्ली से 30 किग्रा, महाराष्ट्र से 21.83 किग्रा कोकीन बरामद की गई है।
इन राज्यों से हो रही तस्करी
अफीम की तस्करी मणिपुर, झारखंड, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से देश के दूसरे हिस्सों में की जा रही है। हेरोइन के मामले में पंजाब और जम्मू-कश्मीर का उपयोग किया जा रहा है, जहा से भारत-पाकिस्तान सीमा से देश के अन्य हिस्सों में ये जहर फैलाया जा रहा है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि चरस को जम्मू-कश्मीर से महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा, गुजरात और नेपाल में तस्करी कर भेजा जा रहा है।
डार्क वेब का इस्तेमाल बढ़ा
वहीं रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि, ड्रग्स के धंधे में शामिल लोग जांच एजेंसियों से बचने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमे एक खास तरीके के सर्च इंजन "ओनियन" का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक वेब के जरिए इसे एक्सेस नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि डार्क वेब और क्रिप्टो करंसी से ड्रग्स की खरीद बढ़ने की कई वजह हैं। क्रिप्टो करंसी से ड्रग्स की खरीद फरोख्त के बाद नशे के धंधे में शामिल लोग इसे अमेरिकी डॉलर या रुपए में कंवर्ट करा लेते हैं। ऑनलाइन खरीद फरोख्त का एक फायदा ये भी है कि ड्रग्स का पार्सल पोस्टल सर्विस के जरिए सीधे दिए गए पते पर पहुंच जाता है।
बता दें कि जुलाई 2017 में ऑनलाइन ड्रग्स की खरीद करने वाले 21 आरोपियों को तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया था। वहीं नेशनल कैपिटल दिल्ली में एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ था जो ऑनलाइन नशीली दवाएं खरीद कर सप्लाई कर रहा था। एनसीबी के एक सीनियर अफसर के मुताबिक, ""उत्तर भारत के कुछ शहरों में भी इसके लिए जांच हो रही है।""
Created On :   26 March 2018 11:13 PM IST