डीएसपी मामला : एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में हिजबुल लिंक की तलाश के लिए छापेमारी की

DSP case: NIA raids in Jammu and Kashmir to search for Hizbul links
डीएसपी मामला : एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में हिजबुल लिंक की तलाश के लिए छापेमारी की
डीएसपी मामला : एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में हिजबुल लिंक की तलाश के लिए छापेमारी की

श्रीनगर/नई दिल्ली, 8 अगस्त (आईएएनएस)। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने निलंबित उप पुलिस अधीक्षक दविंदर सिंह के मामले में शनिवार को जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की।

एनआईए के अधिकारियों ने एक कालीन व्यापारी साहिल जारू के ठिकानों पर भी छापेमारी की है, जिसके पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के साथ वित्तीय संबंधों को लेकर जांच की जा रही है।

दिल्ली में एनआईए के शीर्ष सूत्रों ने शनिवार को कहा, दविंदर सिंह मामले में श्रीनगर के कई स्थानों पर और जम्मू-कश्मीर के अन्य स्थानों पर तलाशी चल रही है।

सूत्र ने कहा कि श्रीनगर में जारू के परिसर पर भी छापेमारी की गई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी दविंदर सिंह और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी साजिश मामले में वित्तीय कड़ी की जांच कर रही है।

इस कार्रवाई से करीब एक महीना पहले ही एनआईए द्वारा जम्मू में एक विशेष एनआईए अदालत में निलंबित जम्मू-कश्मीर के पुलिस उपाधीक्षक सहित छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।

एनआईए ने अपने आरोपपत्र में दविंदर सिंह के अलावा नावेद मुश्ताक उर्फ नावेद बाबू, इरफान शफी मीर, रफी राथर, तनवीर अहमद वानी और सैयद इरफान का नाम भी जोड़ा है।

निलंबित पुलिस अधिकारी जम्मू संभाग के हीरानगर में कठुआ जेल में बंद है। उसे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11 जनवरी को दो हिजबुल आतंकवादियों नावेद बाबू और रफी अहमद राठेर के साथ ही एक लॉ स्कूल के छात्र रहे इरफान शफी मीर को जम्मू ले जाने में मदद करते समय पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

नावेद के भाई इरफान को साजिश में उसकी भूमिका के लिए 23 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था।

सिंह की गिरफ्तारी के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने से पहले प्रारंभिक जांच की गई थी।

पुलिस ने कहा था कि दोनों आतंकवादियों और वकील ने पाकिस्तान की यात्रा करने की योजना बनाई थी।

एनआईए ने पहले दावा किया था कि इसकी जांच से पता चला है कि आरोपी हिजबुल और पाकिस्तान द्वारा हिंसक कार्रवाई करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए रची गई एक गहरी साजिश का हिस्सा थे।

जांच से पता चला है कि हिजबुल का पाकिस्तान स्थित नेतृत्व जम्मू-कश्मीर आधारित आतंकी संगठन के कैडर और कमांडरों को समर्थन दे रहा है।

जांच में यह भी पता चला कि आरोपी इरफान शफी मीर ने न केवल पाकिस्तान में हिजबुल नेतृत्व से मुलाकात की, बल्कि उमर चीमा, अहशान चौधरी, सोहेल अब्बास और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अन्य लोगों से भी मुलाकात की।

एनआईए के प्रवक्ता ने पहले कहा था कि उसे नए हवाला चैनल की पहचान करने और सक्रिय करने का काम सौंपा गया था, ताकि कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए धनराशि भेजी जा सके।

एनआईए ने यह भी दावा किया था कि उसकी जांच से पता चला है कि नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के कुछ अधिकारी मीर के साथ लगातार संपर्क में थे, जिसे भारत सरकार के खिलाफ जनता को जुटाने के लिए जम्मू-कश्मीर में सेमिनार आयोजित करने के लिए धन मुहैया कराया गया था।

मीर कथित तौर पर पाकिस्तान उच्चायोग से निर्देश और धन प्राप्त करता था और उसने कई कश्मीरियों के वीजा आवेदनों को अपनी पाकिस्तान यात्राओं के लिए इस्तेमाल किया।

पता चला है कि दविंदर सिंह को उच्च सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया था।

जांच से पता चला कि संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा उसका उपयोग किया जा रहा था।

दिल्ली की एक अदालत ने 19 जून को एक आतंकी मामले में दविंदर सिंह को जमानत दे दी थी, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उसके और सह-अभियुक्तों के खिलाफ निर्धारित समय के भीतर आरोपपत्र दायर करने में असमर्थता जताई थी।

Created On :   8 Aug 2020 8:00 PM IST

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