2G Case: ED ने हाईकोर्ट में दी नीचली अदालत के फैसले को चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2जी स्पैक्ट्रम मामले में हाईकोर्ट में नीचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमे पिछले साल कोर्ट ने 14 लोगों को बरी कर दिया था। ईडी ने सोमवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके नेता कनिमोझी सहित अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की है। दिसंबर 2017 में मामले का फैसला आने के बाद ईडी और सीबीआई ने दावा किया था कि वो आरोपियों की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि सीबीआई की ओर से अभी 2जी केस में कोई अपील नहीं की गई हैं।
पिछले साल सभी आरोपी हो गए थे बरी
देश के सबसे चर्चित घोटालों में से एक माने जाने वाले 2G स्पेक्ट्रम घोटाले में 21 दिसंबर 2017 को दिल्ली की सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। 2G घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा 3 टेलीकॉम कंपनियों का नाम भी इस घोटाले में शामिल थे। कोर्ट ने इन सभी लोगों और कंपनियों पर लगे आरोपों को हटा दिया था और बरी कर दिया था। साल 2010 में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) की रिपोर्ट में इस घोटाले का खुलासा हुआ था। सीबीआई के विशेष जज ओ पी सैनी ने 700 पन्नों के अपने आदेश में आरोपियों पर धोखाधड़ी, घूस लेने और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे लेकिन अदालत के सामने ये आरोप नहीं टिके।
क्या है 2G स्पेक्ट्रम घोटाला?
देश के सबसे चर्चित घोटालों में 2G घोटाला भी एक है। इस घोटाले का खुलासा 2010 में आई CAG की रिपोर्ट में किया गया था। उस वक्त विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय "पहले आओ, पहले पाओ" की पॉलिसी पर लाइसेंस दिए गए, जिससे सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि अगर ये लाइसेंस नीलामी के आधार पर बांटे जाते, तो ये रकम सरकारी खजाने में जाती। इसके बाद 2011 में पहली बार इस घोटाले में कोर्ट ने 17 आरोपियों को दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई गई थी।
Created On :   19 March 2018 7:51 PM IST