शिक्षा मंत्रालय ने की वैदिक काल और उसके बाद की शिक्षा पर चर्चा
- शिक्षा मंत्रालय ने की वैदिक काल और उसके बाद की शिक्षा पर चर्चा
नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। प्राचीन भारतीय तकनीक, वैदिक काल में शिक्षा, भारतीय तथा पाश्चात्य शिक्षा का तुलनात्मक अध्ययन, प्राचीन शिक्षण प्रणाली, प्राचीन भारत में व्यावसायिक शिक्षा, वैदिक काल के पश्चात की शिक्षा, परा विद्या (आत्म ज्ञान की विद्या) तथा अपरा विद्या जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा के एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने वीडियो कॉन्फ्ऱेंसिंग के द्वारा प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी का उदघाटन किया। यह संगोष्ठी एनआईटीटीटीआरकोलकाता द्वारा आयोजित की गई।
इस अवसर पर यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रोफेसर भूषण पटवर्धन, एनआईटीटीटीआर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष हर्षवर्धन नियोतिया, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर देवी प्रसाद मिश्र भी जुड़े।
डॉ. निशंक ने कहा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, आध्यात्म, दर्शन, योग, साहित्य, कला तथा खगोल शास्त्र जैसे क्षेत्रों में वैचारिक गहराइयों तक उतरकर हमारे प्राचीन मनीषियों ने हमें ज्ञान का खजाना दिया है। यह न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विरासत की तरह है। मुझे खुशी है कि यह संस्थान राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से इस विरासत को, इस खजाने को संजोने का एवं इसे आगे बढ़ाने का महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है।
अपने संबोधन में डॉ. निशंक ने कहा, भारतीय शिक्षण पद्धति की जड़े श्रुति-वेद से जुड़ी हुई हैं। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के लगभग सभी वैश्विक प्रणालियों के मूल में कहीं न कहीं प्राचीनतम भारतीय प्रणाली का योगदान रहा है। इस योगदान में हमारी आध्यात्मिकता और योग की भी अलौकिक परंपरा शामिल है। यह परंपरा भारत के सात ब्रह्म-ऋषियों (सप्तऋषियों) द्वारा स्थापित की गई महान परंपरा है।
इसके अलावा उन्होंने एनआईटीटीटीआर कोलकाता की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे क्रियाशील राष्ट्रीय संस्थानों की मदद से हम भारत को शिक्षा के वैश्विक हब तथा ज्ञान की महाशक्ति बनाने के साथ-साथ अपने ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था के मिशन को जल्द ही साकार होते देखेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने सभी लोगों को नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के बारे में विस्तार से अवगत करवाया और कहा, इस नीति के माध्यम से हम एक बहुभाषी तथा बहुआयामी शिक्षण के साथ-साथ अपनी प्राचीन भारतीय कलाओं, परंपराओं एवं शिल्पों का भी विकास करेंगे। प्राचीन भारतीय शिक्षण की वाहिका संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का उन्नयन भी हमारा एक मुख्य उद्देश्य है।
उन्होंने सभी का आहवाहन करते हुए कहा कि यह देश की नीति है जिसमें सबका हित निहित है। सबका साथ, सबका विश्वास की सोच के साथ नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन तथा शिक्षा को फ्यूचर रेडी बनाने की दिशा में पूरी टीम इंडिया मिलकर काम करना है।
जीसीबी/एएनएम
Created On :   11 Nov 2020 6:30 PM IST