पूर्व सैन्य अफसर की बयानबाजी असहनीय : बांग्लादेशी सेना
- पूर्व सैन्य अफसर की बयानबाजी असहनीय : बांग्लादेशी सेना
ढाका, 20 जुलाई (आईएएनएस)। बांग्लादेश में वीरता पुरस्कार बीर बिक्रम से सम्मानित हो चुके एक पूर्व वरिष्ठ सैन्य अफसर के बयानों पर बांग्लादेश सेना ने कहा है कि इस तरह की बातें एक नकारात्मक मिसाल पेश करती हैं और साथ ही बल के अन्य सदस्यों पर इनका नकारात्मक असर होता है।
सोशल मीडिया पर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) चौधरी हसन सरवर्दी के तीखे बयानों के बाद बांग्लादेश की सेना ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, चौधरी हसन सरवर्दी का ऐसा व्यवहार शर्मनाक और बांग्लादेश सेना के सदस्यों के लिए असहनीय है। इस तरह की गतिविधियां एक नकारात्मक उदाहरण पेश करती हैं और बल के अन्य सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
बांग्लादेश सशस्त्र बलों की मीडिया व समाचार एजेंसी इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी हसन सरवर्दी बीर बिक्रम पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि सरवर्दी ने सेना व सैन्य छावनी तक अपनी पहुंच के बारे में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर झूठ फैलाया है।
आईएसपीआर ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर अपनी पदोन्नति हासिल करने के बाद हसन सरवर्दी ने कई महिलाओं के साथ अवैध संबंध बनाए। उनके व्यवहार ने अधिकारियों को असहज किया और उन्हें सचेत रहने की सलाह दी गई।
विज्ञप्ति में कहा गया है, जब वह एलपीआर (पोस्ट रिटायरमेंट लीव) पर थे तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों की अनुमति के बिना 16 अगस्त, 2018 को अपनी पहली पत्नी को तलाक दे दिया।
बयान के अनुसार, सरवर्दी ने सैन्य कानून का उल्लंघन करते हुए 21 नवंबर, 2018 को दूसरी बार अपनी वर्दी पहनकर शादी की। अपनी दूसरी शादी से पहले वह एक प्रसिद्ध महिला मीडियाकर्मी के साथ रह रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने जिस महिला से शादी की, वह विवादित व्यक्ति है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, इन सभी को ध्यान में रखते हुए अधिकारी को छावनी और छावनी के तहत क्षेत्रों में अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया था, जिससे वह इलाज के लिए सीएमएच, अधिकारियों के क्लब में प्रवेश, सीएसडी दुकान आदि सुविधाओं के इस्तेमाल से वंचित हो गया।
17 जुलाई को सरवर्दी के बारे में अफवाह फैली कि सैन्य अफसर व बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के पूर्व सिक्योरिटी चीफ स्टाफ को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सरवर्दी 2010 के बांग्लादेश शेयर बाजार घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री के एक विवादास्पद सलाहकार के साथ शामिल थे और एक बड़े उद्योगपति के नेतृत्व वाली पाकिस्तान लॉबी ने सेना प्रमुख के रूप में उनके नाम को तब बढ़ावा देने की कोशिश की थी जब जनरल आई करीम भुइयां सेवानिवृत्त हुए थे।
लेकिन, उनके पाकिस्तान कनेक्शन और इस संदिग्ध उद्योगपति के साथ उनके संबंध ने भारत को सतर्क कर दिया था।
सरवर्दी ने भारत की अपनी यात्रा के दौरान भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के साथ अपनी मुलाकात में अपने पक्ष की जोरदार पैरवी की थी लेकिन भारतीय सैन्य जनरल पड़ोसी देशों के जनरलों के मामलों को अपनी सरकार के समक्ष नहीं रखा करते।
बांग्लादेश सरकार के अंदर पैठ बनाए कट्टर साजिशकर्ता ने नागरिक व सैन्य प्रशासन में अपने बढ़ते प्रभाव का उपयोग कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सरवर्दी को प्रोटेक्टिव कस्टडी में ले लिया जाए ताकि उसे सत्ता बदलने की साजिश मामले में कड़ी पूछताछ से बचाया जा सके। सरकार ने अन्य एजेंसियों को इस सत्ता पलट मामले की साजिश की जांच सौंपी हुई है।
बांग्लादेश में प्रेस की स्वतंत्रता पर वास्तविक सवाल उठाते हुए यहां तक कोशिश की गई कि भारत में वाणिज्य दूतावास आधारित नेटवर्क का उपयोग कर इस सबसे जुड़ी खबरों को भारतीय मीडिया में चलने से रोक दिया जाए।
हालांकि, यह स्टोरी ईस्टर्नलिंक और लुकईस्ट जैसे शीर्ष मीडिया प्लेटफार्म पर चलीं।
कोशिश यह रही कि सोशल मीडिया होस्ट कनक सरवर के साथ विवादास्पद साक्षात्कार के बाद सरवर्दी को तब तक के लिए भूमिगत कर दिया जाए जब तक इससे पैदा विवाद शांत न हो जाए। बीएनपी जमात मीडिया सलाहकार कनक ने एकुशे टेलीविजन पर पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारेक जिया का एक साक्षात्कार प्रसारित करने के बाद अवैध रूप से बांग्लादेश छोड़ दिया।
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बांग्लादेश के एक शीर्ष खुफिया अधिकारी ने कहा, अवामी लीग सरकार में बहुत ऊपर तक पहुंचने वाला पाकिस्तानी झुकाव रखने वाला सलाहकार पहली बार भारी दबाव में है। अब वह केवल अपनी खुद की संलिप्तता को छिपाने में लगा हुआ है क्योंकि सरवर्दी को किसी भी कठिन पूछताछ का सामना नहीं करना पड़ रहा है और वह चुपचाप छोड़ा जा सकता है क्योंकि उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है और यहां तक कि उसकी हिरासत के तथ्य को भी बताया गया है।
इस एडवाइजर और उसके बुद्धिमान संगी-साथियों ने भी अपनी मीडिया संपत्तियों को उन भारतीय वेबसाइटों को बदनाम करने में लगा दिया है जिन्होंने शेख हसीना की सरकार को गिराने की साजिश की रिपोर्ट प्रसारित की है। उनके हमले का केंद्र ईस्टर्नलिंक के संपादकीय निदेशक सुबीर भौमिक हैं जो बीबीसी-रॉयटर के दिग्गज पत्रकार और ऑक्सफोर्ड-फ्रैंकफर्ट फेलो हैं जिनकी साइट ने शेख हसीना का तख्ता पलटने की साजिश को उजागर किया था।
Created On :   20 July 2020 5:33 PM IST