डाटा लीक : सरकार ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को भेजा नोटिस, 31 मार्च तक मांगा जवाब

Facebook Data leak Government issues notice to Cambridge Analytica
डाटा लीक : सरकार ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को भेजा नोटिस, 31 मार्च तक मांगा जवाब
डाटा लीक : सरकार ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को भेजा नोटिस, 31 मार्च तक मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फेसबुक यूजर्स का डाटा लीक करने का आरोप झेल रही ब्रिटिश फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिका को अब भारत सरकार ने नोटिस भेजा है। सरकार ने कंपनी से चुनावों में रोल को लेकर जवाब मांगा। साथ ही ये भी पूछा है कि कंपनी ने फेसबुक यूजर्स का डाटा यूज करने से पहले यूजर्स से परमिशन ली थी या नहीं। इस बारे में कंपनी को जवाब देने के लिए 31 मार्च तक का वक्त दिया है। वहीं दूसरी तरफ कैम्ब्रिज एनालिटिका ने ट्विटर पर इस मामले से जुड़ी एक टाइमलाइन को शेयर कर बताया है कि कंपनी ने डोनाल्ड ट्रंप के लिए डाटा का इस्तेमाल नहीं किया। बता दें कि कैम्ब्रिज एनालिटिका पर करीब 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डाटा यूज करने का आरोप लगा है। 

सरकार ने कंपनी से क्या पूछा?

1. क्या किसी यूजर का पर्सनल डाटा शेयर या यूज करने से पहले उससे परमिशन ली गई थी?
2. जो भी पर्सनल डाटा कलेक्ट किया, उसे किस तरह से दूसरों से शेयर किया?
3. जिस डाटा को लीक किया गया, उसका इस्तेमाल किस तरह किया गया?

कंपनी ने टाइमलाइन के जरिए समझाया

 

 

 

- 2013 : कैम्ब्रिज एनालिटिका कंपनी की शुरुआत।
- अगस्त 2013 : क्रिस्टोफर वाइली ने SCL इलेक्शन के साथ पार्टटाइम के तौर पर काम शुरू किया।
- मई 2014 : ग्लोबल साइंस रिसर्च (GSR) के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया।
- जुलाई 2014 : क्रिस्टोफर ने कंपनी के साथ काम करना बंद कर दिया। 
- 2014 : कंपनी ने क्रिस्टोफर के खिलाफ लीगल एक्शन लिया गया, क्योंकि उस पर कॉन्ट्रेक्ट को तोड़ने और इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी को चुराने का आरोप था।
- अगस्त 2015 : क्रिस्टोफर ने लीगल डॉक्यूमेंट को साइन किया, जिसमें बताया कि उसके पास कोई डाटा नहीं है।
- दिसंबर 2015 : एक अखबार ने रिपोर्ट छापी, जिसमें कहा गया कि GSR ने फेसबुक डाटा चुराया है। जिसके बाद फेसबुक ने हमसे और GSR से डाटा डिलीट करने को कहा।
- जुलाई 2016 : GSR ने हमसे वेरिफाई करने को कहा कि डाटा डिलीट कर दिया गया है।
- अगस्त 2016 : हमने GSR के खिलाफ लीगल एक्शन लिया।
- नवंबर 2016 : हमारी कंपनी और GSR के बीच एक समझौता हुआ। 
- मार्च 2017 : हमारे ऑडिट में पता चला कि GSR ने डाटा डिलीट कर दिया, जिसकी जानकारी हमने फेसबुक को दी।
- मार्च 2017 : ICO ने हमारे लंदन ऑफिस का दौरा किया और हमसे स्ट्रक्चर-डाटा की जानकारी मांगी।
- सितंबर 2017 : ICO ने हमसे US नेशनल डाटा के बारे में पूछा।
- अक्टूबर 2017 : ICO ने हमसे ब्रेक्जिट कैंपेन में काम करने को कहा और हमने उनका साथ दिया। 
- मार्च 2018 : ICO ने हमारे सिस्टम के एक्सेस मांगे और इस बात के सबूत मांगे कि अब हमारे पास GSR का कोई डाटा नहीं है। हमने उन्हें बताया कि सारा डाटा डिलीट हो चुका है।
- मार्च 2018 : फेसबुक ने कैम्ब्रिज एनालिटिका और SCL इलेक्शन के अकाउंट्स को जांच पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया है। क्रिस्टोफर वाइल का जो इंटरव्यू सामने आया है, वो कॉन्ट्रेक्ट खत्म होने के कई सालों बाद आया है।

बीजेपी-कांग्रेस ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप

बीजेपी : कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कैम्ब्रिज एनालिटिका की मदद ली और 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भी इसकी मदद ले रही है। साथ ही राहुल गांधी के फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए इस कंपनी की मदद लेने का आरोप लगाया था।

कांग्रेस : जवाब देते हुए कांग्रेस ने दावा किया कि बीजेपी ने 2010 के बिहार विधानसभा चुनावों में इस कंपनी की मदद ली। उस समय बीजेपी का जेडीयू के साथ गठबंधन था।

जुकरबर्ग ने मांगी माफी

वहीं पूरा मामला सामने आने के बाद फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने सभी यूजर्स से माफी मांगी और अपनी गलती को माना। जुकरबर्ग ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि "आपका डाटा प्रोटेक्ट करना हमारी जिम्मेदारी है और अगर हम ऐसा नहीं कर पाते हैं तो हम आपको सर्विस देने के लायक नहीं हैं। हमने इसको लेकर पहले भी कई कदम उठाए हैं लेकिन हमसे कई गलतियां भी हुईं, जिनको लेकर काम किया जा रहा है।" जुकरबर्ग ने बताया था कि "कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगन ने एक क्वीज एप बनाया और यूजर्स का पर्सनल डाटा यूज किया। बाद में कोगन ने इस डाटा को कैम्ब्रिज एनालिटिका को बेच दिया। जब हमें इसका पता चला तो हमने कैम्ब्रिज एनालिटिका को डाटा डिलीट करने को कहा और उसने भरोसा दिया कि डाटा डिलीट कर दिया गया है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।" जुकरबर्ग ने बताया था कि पर्सनल डाटा को लीक होने से बचाने के लिए कंपनी अब कुछ खास बदलाव करने जा रही है, जिससे डाटा को सेफ रखा जा सकेगा।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, ब्रिटेन की एक पॉलिटिक कंसल्टेंसी फर्म "कैम्ब्रिज एनालिटिका" पर करीब 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का डाटा उनकी इजाजत के बिना यूज करने का आरोप लगा है। एक चैनल ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में इस बात का खुलासा किया है। चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में ये बात निकलकर आई कि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने करोंड़ों फेसबुक यूजर्स के पर्सनल डाटा का गलत इस्तेमाल किया। इसके साथ ही ये भी दावा किया गया है कि कंपनी ने 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इस डाटा का इस्तेमाल किया और ट्रंप को फायदा पहुंचाया। इसके लिए कंपनी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया, जिससे लोगों के पॉलिटिकल इंटरेस्ट का अंदाजा लगाया जा सके। इस खबर के सामने आने के बाद के बाद फेसबुक को करीब 40 अरब डॉलर का नुकसान होने की बात कही जा रही है। 

Created On :   24 March 2018 7:49 AM IST

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