Special: उप्र के गोंडा में 50 लोगों का परिवार सुरक्षा प्रोटोकॉल का कर रहा पालन

Family of 50 people in Uttar Pradeshs Gonda complying with security protocol (IANS Special)
Special: उप्र के गोंडा में 50 लोगों का परिवार सुरक्षा प्रोटोकॉल का कर रहा पालन
Special: उप्र के गोंडा में 50 लोगों का परिवार सुरक्षा प्रोटोकॉल का कर रहा पालन

डिजिटल डेस्क, गोंडा (उत्तर प्रदेश), 10 मई (आईएएनएस)। कोरोनावायरस के प्रकोप के बीच बड़े परिवारों को छोटे घरों में सामाजिक दूरी बनाए रखने में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, मगर उत्तर प्रदेश के एक परिवार ने नायाब उदारण पेश किया है।गोंडा जिले की सदर तहसील के एक गांव में एक घर में एक साथ 50 लोग रहते हैं और यहां महज 12 कमरे हैं। मगर इसके बावजूद यह परिवार यह सुनिश्चित करता है कि वे इन दिनों सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा पालन करें।

परिवार के लोग मास्क पहने रहते हैं और लगातार अंतराल पर अपने हाथ धोते हैं। परिवार के मुखिया 90 वर्षीय चुन्नीलाल रैदास ने बताया, कोई भी घर से बाहर नहीं जाता है और हम भीड़-भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाते हैं। हम बाहरी लोगों से नहीं मिलते हैं।

चुन्नीलाल रैदास के छह बेटे हैं, जिनमें रामनाथ, नंदलाल, मेहीलाल और नंद कुमार शामिल हैं। उनके दो बेटे स्वामीनाथ और नानमून अब जीवित नहीं हैं। उनकी पत्नी बच्ची देवी 86 वर्ष की हैं। परिवार में छह बेटियां, उनके बच्चे और पोते भी शामिल हैं। चुन्नीलाल ने कहा, हम इस घर में चार पीढ़ियों के लोग हैं। हम गरीब हैं, लेकिन हम एक साथ मिलकर खुश हैं। बंद के बाद से रोजगार की कमी है।

चुन्नीलाल रैदास ने कहा कि मेरे बेटे बोझा ढोने (पोर्टर्स) का काम करते हैं, लेकिन उनकी आय लॉकडाउन के बाद से बंद हो गई है, हालांकि वे अभी भी कुछ काम पाने का प्रबंध करने में जुटे हैं। चुन्नीलाल स्टेशन रोड पर स्थित एक दुर्गा मंदिर में भजन गाते हैं और वह ऐसा करना जारी रखे हुए हैं, हालांकि मंदिर राष्ट्रव्यापी बंद के बाद बंद है। उन्होंने कहा, यह आस्था की बात है, पैसे की नहीं बूढ़े आदमी और उसके परिवार के लिए यह लॉकडाउन दुख से ज्यादा खुशी लेकर आया है।

उन्होंने कहा, सामान्य दिनों में पुरुष काम पर चले जाते थे और महिलाएं घर के कामों में व्यस्त रहती थीं। बच्चे स्कूल में होते थे। हमें कभी भी एक परिवार के रूप में एक साथ बैठने का अवसर नहीं मिला, लेकिन अब हर कोई घर पर है। बहुएं खाना बनाती हैं। बच्चे खेलते हैं और पुरुष भी विभिन्न कामों में मदद करते हैं।

चुन्नीलाल ने आगे कहा, कई सालों के बाद हम पूरे दिन एक-दूसरे के साथ बात कर रहे हैं। पुराने किस्सों को याद करते हुए, बच्चों को परिवार के बारे में बता रहे हैं। बहुत सारा नटखटपन है। पुराने दिन वापस लौट आए हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इस परिवार के पास एक भी टेलीविजन नहीं है और इनमें में किसी के पास स्मार्टफोन भी नहीं है। परिवार के पास एक भी मोटरबाइक नहीं है, हालांकि उनके पास आठ साइकिलें हैं, जो स्कूल जाने वाले बच्चों और परिवार के पुरुषों के बीच आपस में साझा कर ली जाती हैं।

चुन्नीलाल का पोता कुलदीप स्मार्टफोन वाला एकमात्र सदस्य है, जो पानीपत में काम करता है। चुन्नीलाल के एक पोते सूरज ने कहा, परिवार अपने सीमित साधनों के भीतर खुश है। परिवार में कोई भी शराब नहीं पीता है और हम शुद्ध शाकाहारी हैं। बच्चे कभी कोई मांग नहीं करते हैं और कोई झगड़े नहीं होते हैं। अगर महिलाओं के बीच कोई विवाद होता है, तो यह हमारे बिस्तर पर जाने से पहले सौहार्द्रपूर्ण ढंग से हल हो जाता है।

 

Created On :   10 May 2020 4:30 PM IST

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