युद्ध की महारथ के साथ पहली बार आमने-सामने होंगे हमारे और वियतनाम के आर्मी ऑफिसर

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युद्ध की महारथ के साथ पहली बार आमने-सामने होंगे हमारे और वियतनाम के आर्मी ऑफिसर
युद्ध की महारथ के साथ पहली बार आमने-सामने होंगे हमारे और वियतनाम के आर्मी ऑफिसर

डिजिटल डेस्क जबलपुर। युद्ध के दौरान किसी विषम से विषम हालात में कैसी प्लानिंग की जाए, जिससे कि दुश्मन दहल उठे? किसी खास टारगेट तक पहुंचने और फिर उसे कैप्चर किस तरह किया जाए? हर देश की सैन्य जवानों की युद्ध के हालातों में अगल-अलग रणनीति होती है, लेकिन पहली बार जबलपुर में ऐसा युद्धाभ्यास होने जा रहा है, जिसमें भारत और वियतनाम के वॉर ट्रिक्स एक-दूसरे के साथ साझा किए जाएंगे। जीआरसी में 29 जनवरी को इसकी शुरूआत होगी।  आर्मी के लखनऊ सैन्य मुख्यालय के अनुसार यह युद्धाभ्यास 6 दिनों तक चलेगा। इस संयुक्त युद्धाभ्यास में भारतीय सेना तथा वियतनाम पिपुल्स आर्मी की ओर से 15 सैन्य अधिकारी शामिल होंगे। 3 फरवरी तक चलने वाले इस संयुक्त युद्धाभ्यास को विषेश रूप से वियतनाम के सैन्याधिकारियों को यूएन के शांति मिशन के लिए आकार दिया गया है।
हाल ही में अमेरिका के साथ
इस तरह की प्रैक्टिस बंग्लादेश, अफगानिस्तान और रशिया के साथ होती रही है। हाल ही के दिनों में भारतीय सेना की ऐसी ही ज्वॉइंट प्रैक्टिस अमेरिका के साथ हो चुकी है। सैन्य सूत्रों का कहना है कि यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना द्वारा मित्र देशों के साथ आयोजित होने वाले युद्धाभ्यासों का एक हिस्सा है।
हमारे जवानों का शानदार इतिहास
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में बड़ी संख्या में जवानों को भेजने का भारतीय सेना  का एक लंबा एवं शानदार इतिहास रहा है। यही वजह है कि इस युद्धाभ्यास को वियतनाम पिपुल्स आर्मी के लिए यह एक बेहतर अवसर माना जा रहा  है। इस माध्यम से वितयनाम की सेना की युद्धक रणनीति का बारीकी से ज्ञान हासिल हो सकेगा।
ऐसी होगी मिल्ट्री एक्सरसाइज
>    इस युद्धाभ्यास  का पूरा कॉन्सेप्ट टेबल टप एक्सरसाइज पर आधारित रखा जाएगा।  
>    मिल्ट्री एक्सासाइज में युद्ध की जटिल परिस्थितियां दिखाने वाले मॉडल तैयार किए जाएंगे।
>    किसी खास टारगेट तक पहुंचने में कौन-कौन से रूट अपनाए जाते हैं यह बताया जाएगा।
>    टारगेट पर पहुंचने की क्या ट्रिक्स होंगी, दोनों देश के सैन्य ऑफीसर्स इस पर फोकस करेंगे।
>    एक टुकड़ी का दूसरे से किस तरह तालमेल होना चाहिए इसकी नई तकनीक साझा होगी।
>    दुश्मन देश के जवानों की हरकत को किस तरह वॉच करना और रिएक्शन देना बताया जाएगा।
>    इस दौरान दोनों देशों की सेनायें अपने-अपने अनुभवों को एक-दूसरे से साझा करेंगी।  इससे दोनों देशों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में मदद मिलेगी।

 

Created On :   25 Jan 2018 1:07 PM IST

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