मप्र के ई-टेंडरिंग घोटाले में पूर्व मंत्री के 2 करीबी गिरफ्तार

Former minister ki 2 arrested in IPR e-tender scam
मप्र के ई-टेंडरिंग घोटाले में पूर्व मंत्री के 2 करीबी गिरफ्तार
मप्र के ई-टेंडरिंग घोटाले में पूर्व मंत्री के 2 करीबी गिरफ्तार
हाईलाइट
  • ईओडब्ल्यू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार
  • राज्य में जल संसाधन विभाग के टेंडरों में हुई छेड़छाड़ और गड़बड़ी के मामले में निर्मल अवस्थी और वीरेंद्र पांडे को गिरफ्तार किया गया है
  • मध्यप्रदेश में हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में पुलिस की विशेष आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो करीबियों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया
भोपाल, 26 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में पुलिस की विशेष आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दो करीबियों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया।

ईओडब्ल्यू के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में जल संसाधन विभाग के टेंडरों में हुई छेड़छाड़ और गड़बड़ी के मामले में निर्मल अवस्थी और वीरेंद्र पांडे को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों से ईओडब्ल्यू कई बार पूछताछ कर चुकी थी। ये दोनों मिश्रा के करीबी हैं। मिश्रा पूर्ववर्ती सरकार शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के कार्यकाल में ई-टेंडरिंग में लगभग 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आंशका है और कांग्रेस ने अपने विधानसभा चुनाव के वचन-पत्र में ई-टेंडरिंग घोटाले की जांच और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था। इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू के पास थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉस टीम (सीईआरटी) की मदद ली। सीईआरटी ने अपनी रिपोर्ट में यह बात मानी है कि ई-टेंडरिंग में छेड़छाड़ हुई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने पांच विभागों, सात कंपनियों और अज्ञात अधिकारियों व राजनेताओं के खिलाफ जून माह में मामला दर्ज किया था।

ईओडब्ल्यू को लगभग 3000 करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्य अैर तकनीकी जांच में यह तथ्य मिले थे कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मप्र सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक टेंडर कुल मिलाकर नौ टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई। इसके जरिए नौ कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है।

ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया के दौरान एक अधिकारी ने इस बात का खुलासा किया था कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ की उन कंपनियों को लाभ पहुंचाया गया, जिन्होंने टेंडर डाले थे, जिन नौ टेंडरों में गड़बड़ी की बात सीईआरटी की जांच में पुष्टि हुई है, वे लगभग 900 करोड़ रुपये के हैं।

--आईएएनएस

Created On :   26 July 2019 11:31 PM IST

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