दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकार का महाअभियान

Governments campaign against air pollution in Delhi
दिल्ली में वायु प्रदूषण के खिलाफ सरकार का महाअभियान
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नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार, दिल्ली में प्रदूषण पैदा करने वाली सभी गतिविधियों के खिलाफ 5 अक्टूबर से चौतरफा महाअभियान शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही दिल्ली में पराली को गलाने के लिए भी मेगा तैयारी की जा रही है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, दिल्ली में पराली को खाद में बदलने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट की निगरानी में नजफगढ़ के कड़कड़ी नाहर गांव में सेंटर बनाया गया है। यहां 6 अक्टूबर से करीब 400 पतीलों में घोल तैयार करना शुरू करेंगे। ब्लॉक स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो इच्छुक किसानों से फार्म भरवाएंगे, जिसके बाद निशुल्क छिड़काव किया जाएगा।

इस घोल को तैयार करने के लिए पहले 5 लीटर पानी में 150 ग्राम गुड़ गर्म करते हैं। गर्म होने के बाद उसे ठंडा किया जाता है। ठंडा होने के बाद 50 ग्राम बेसन मिलाते हैं। उसके बाद पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किए गए एक पाउच को घोल बना कर उसमें डालते हैं। तीन-चार दिन के बाद उस घोल को दोगुना कर देते हैं।

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, जैसा हम सब जानते हैं कि सर्दी के समय में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जब हवा के अंदर ठंड और नमी बढ़ती है, उस समय पीएम-10 के और पीएम-2.5 के कण का घेरा दिल्ली के ऊपर बढ़ जाता है। इसके मुख्य तौर पर दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण है, जो दिल्ली के अंदर धूल प्रदूषण, बायोमॉस बनिर्ंग, वाहनों के माध्यम से अलग-अलग तरह के कण उत्सर्जित होते हैं, वो दिल्ली की हवाओं में घुलते हैं। ये कण नीचे आकर हमारे फेफड़े के जरिए हमारी सांसों को प्रभावित करते हैं।

दिल्ली सरकार के मुताबिक कुछ हद तक प्रदूषण दिल्ली के लोगों के द्वारा अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से पैदा होता है। इनमें दीपावली के समय पटाखे जलाने, अलग-अलग जगहों पर कूड़ा जलाने से पैदा होता है। वहीं, प्रदूषण का दूसरा जो हिस्सा है, उसमें दिल्ली के लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है। जैसे पराली का जलना, पिछले साल दिल्ली के अंदर पराली जलने की घटना लगभग शून्य रही है। वहीं, पंजाब और पश्चिमी यूपी में पराली जलाई जाती है। पिछली बार का आंकड़ा था कि दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45 फीसदी का योगदान पराली का रहा है।

दिल्ली के चारों तरफ स्थित शहरों गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव हैं, उनके इलाकों में जो गतिविधियां चलती हैं, दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ाने में उसका भी योगदान होता है।

गोपाल राय ने कहा, केंद्र सरकार किसानों को पराली हटाने की मशीन के लिए 3 करोड़ रुपए सब्सिडी दे रही है, फिर भी किसानों को इसमें पैसा देना है। दिल्ली के अंदर हमने जो आंकड़ा बनाया है, उसमें 800 हेक्टेयर खेत के लिए पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार कैप्सूल से घोल तैयार करने से लेकर किसानों के खेत में छिड़काव करने में केवल 20 लाख रुपए का ही खर्चा आ रहा है।

जीसीबी/एएनएम

Created On :   1 Oct 2020 6:00 PM IST

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